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दोहा
विनय मलिका - जैसे सूरज के उदय सकल तिमिर नस जाय
जैसे सूरज के उदय सकल तिमिर नस जायमेहर तुम्हारी हे प्रभु क्यूँ अज्ञान रहाय
दया बाई
दोहा
अखरावती - तिमिर मलिन तें ना टरे सूर उदय नहिं होय
तिमिर मलिन तें ना टरे सूर उदय नहिं होयसत्त सबद जो जानई करम भरम सब खोय
कबीर
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सूफ़ी लेख
उदासी संत रैदास जी- श्रीयुत परशुराम चतुर्वेदी, एम. ए., एल-एल. बी.
जल तरंग पाहन प्रतिमा ज्यो, ब्रह्म जीव द्वति ऐसा।। विमल एक रस उपजै न विनसै, उदय अस्त दोउ नाहीं।
हिंदुस्तानी पत्रिका
पद
पार ब्रह्म हरि पार उतारण, दूतर तारण राम हरे।।
धरणि गगन जहाँ सूरज शशि हर, तहाँ उदय अस्त नहीं राम हरे ।अवरण राम अकल अविनासी, अपरम्पार अलेख हरे।।
महात्मा नरीदास जी
पद
ग्रंथ काया बेली - साचा सतगुर राम मिलावै सब कुछ काया माहिँ दिखावै
काया माहैँ राति दिन उदय अस्त इकतार'दादू' पाया परम-गुर कीया एकंकार
दादू दयाल
पद
भ्रांति तथा परमतत्व - माधो भरम कैसेहु न बिलाइ ताते द्वैत दरसै आई
बिमल एक रस उपजे न बिनसै उदय अस्त दोउ नाहींबिगता बिगत घटै नहिं कबहूँ बसत बसै सब मांही
रैदास
सूफ़ी लेख
Malangs of India
हिंदुस्तान में सूफ़ियों का उदय चार पीरों और चौदह ख़ानवाड़ों से हुआ . चार पीर चार
सुमन मिश्रा
सूफ़ी लेख
राष्ट्रीय जीवन में सूरदास, श्री शान्ता कुमार
ऐसे अन्धकारमय युग में सूरदास का उदय हुआ। रामानन्द, वल्भ, चैतन्य, कबीर, दादू, मीराबाई, तुलसीदास, नरसी
सूरदास : विविध संदर्भों में
सूफ़ी लेख
तुलसीदासजी की सुकुमार सूक्तियाँ- राजबहादुर लमगोड़ा
सत्य ही है कि जब तक तनिक पार्थक्य न हो, रुचि का यथार्थ अनुभव नहीं होता।
माधुरी पत्रिका
सूफ़ी लेख
संत साहित्य - श्री परशुराम चतुर्वेदी
गुरु का सबद काटे कोटि करम।।इस पद को देखने से पता चलता है कि बाहरी उपासना
हिंदुस्तानी पत्रिका
सूफ़ी लेख
संत साहित्य
गुरु का सबद काटे कोटि करम।।इस पद को देखने से पता चलता है कि बाहरी उपासना