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ग़ज़ल
सुकून-ए-क़ल्ब किसी को नहीं मयस्सर आजशिकस्त-ए-ख़्वाब है हर शख़्स का मुक़द्दर आज
अहमद अली बर्क़ी आज़मी
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ग़ज़ल
बे-सुकूनी में सुकून-ए-क़ल्ब है हासिल मुझेइज़्तिराब-ए-दिल नहीं है इज़्तिराब-ए-दिल मुझे
पंडित शाएक़ वारसी
ना'त-ओ-मनक़बत
हुज़ूर-ए-सरवर-ए-’आलम तबीब-ए-क़ल्ब-ए-हज़ींहबीब-ए-ख़ालिक़-ए-कुल रौनक़-ए-ज़मान-ओ-ज़मीं
मोहम्मद हुज़ैफ़ा
बैत
है दरून-ए-ख़ाना क़ल्ब-ओ-जिगर तंज़ील-ए-नूर
है दरून-ए-ख़ाना क़ल्ब-ओ-जिगर तंज़ील-ए-नूरआँख की पुतली है तस्वीर दर-ए-आ'ली लिए
वासिफ़ रज़ा वासिफ़
ना'त-ओ-मनक़बत
’इश्क़-ए-आक़ा क़ल्ब के जुज़दान में मौजूद हैजिस के सदक़े जाँ तन-ए-बे-जान में मौजूद है
सलमान आरीफ़ बरेलवी
ना'त-ओ-मनक़बत
नबी के 'इश्क़ में क़ल्ब-ओ-जिगर रफ़ू कर लेउसी ज़रिए' मकाँ अपना ख़ुल्द तू कर ले
उवेस रज़ा अम्बर
शे'र
कुछ ऐसा दर्द शोर-ए-क़ल्ब-ए-बुलबुल से निकल आयाकि वो ख़ुद रंग बन कर चेहरः-ए-गुल से निकल आया
मुज़्तर ख़ैराबादी
ग़ज़ल
कुछ ऐसा दर्द शोर-ए-क़ल्ब-ए-बुलबुल से निकल आयाकि वो ख़ुद रंग बन कर चेहरः-ए-गुल से निकल आया
मुज़्तर ख़ैराबादी
शे'र
सुकून-ए-क़ल्ब की उम्मीद अब क्या हो कि रहती हैतमन्ना की दो-चार इक हर घड़ी बर्क़-ए-बला मुझ से
हसरत मोहानी
ना'त-ओ-मनक़बत
मुराद-ए-क़ल्ब हर मुरीद शैख़ सा'द शैख़ सा'दसुकून-ओ-राहत मज़ीद शैख़ सा'द शैख़ सा'द
शैख़ अबु सईद सफ़वी
कलाम
अमीर बख़्श साबरी
ना'त-ओ-मनक़बत
महफ़ूज़ूल्लाह महफ़ूज़
सूफ़ी लेख
अबू मुग़ीस हुसैन इब्न-ए-मन्सूर हल्लाज - मैकश अकबराबादी
ज़मीर, क़ल्ब में हल्ल हो गया हैजिस तरह