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सूफ़ी कहावत
चराग़-ए- के ऊ ख़ानः रौशन कुनद बरूख़त उफ़्ताद कार-ए-दुश्मन कुनद
वो चिराग जो घरों को रोशनी देता है, अगर वह किसी के कपड़ों पर गिरे, तो दुश्मन की तरह काम करेगा।
वाचिक परंपरा
फ़ारसी सूफ़ी काव्य
ब-रौ ब-कार-ए-ख़ुद ऐ वाइ'ज़ ईं चे फ़रियाद अस्तमरा फ़ितादः दिल अज़ कफ़ तुरा चे उफ़्ताद अस्त
हाफ़िज़
फ़ारसी सूफ़ी काव्य
आ'शिक़ शौ अर ना रोज़े कार-ए-जहाँ सर आयदना-ख़्वांदः नक़्श-ए-मक़सूद अज़ कार-गाह-ए-हस्ती