आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "खन"
अत्यधिक संबंधित परिणाम "खन"
सूफ़ी लेख
जायसी और प्रेमतत्व पंडित परशुराम चतुर्वेदी, एम. ए., एल्.-एल्. बी.
गिरगिट छंद धरै दुख तेता। खन खन पीत रात खन सेता।।
हिंदुस्तानी पत्रिका
सूफ़ी लेख
संत साहित्य - श्री परशुराम चतुर्वेदी
झरि लागै महलिया गगन घहराय।।टेक।।खन गरजै, खन बिजुरी चमकै,
हिंदुस्तानी पत्रिका
अन्य परिणाम "खन"
सवैया
अनन्य भाव- द्रौपदी अँगनिका गज गीध अजामिल सो कियो सो न निहारो।
काहे कौ सोच करै रसखानि कहा करि है रबिनन्द विचारो।ता खन जा खन राखियै माखन-चाखनहारो सो राखनहारो।।17।।
रसखान
शबद
भेद का अंग - झरि लागै महलिया गगन घहराय
खन गरजै खन बिजुली चमकैलहर उठै सोभा बरनि न जाय
महात्मा धनी धर्मदास जी
राग आधारित पद
राग मारू धनासरी- अंजुलि गांथ जो उत्पति दीनी।
हौं तिन्ह बोलन रहौं लुभाइ।लाग परित खन छोड़ि न जाइ।।
अब्दुल क़ुद्दूस गंगोही
राग आधारित पद
उक़दा (समस्या)- तै मैं मैं तैं हौर न कोय।
तै मैं मैं तैं हौर न कोय।लाग परति खन छोड़ न होय।।