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छंद
चन्दन की चौकी चारु पड़ी सोता था सब गुन जटा हुआ।
चन्दन की चौकी चारु पड़ी सोता था सब गुन जटा हुआ।चौके की चमक अधर विहंसन मानो एक दाड़िम फटा हुआ।।
सीतल
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सूफ़ी लेख
खुसरो की हिंदी कविता - बाबू ब्रजरत्नदास, काशी
ज़मीन पर क्यों न बैठे?उत्तर- चौकी न थी।
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
खुसरो की हिंदी कविता - बाबू ब्रजरत्नदास, काशी
-चौकी (10) घूम घुमेला लहँगा पहिने एक पाँव से रहे खड़ी।
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
दकनी सूफ़ी काव्य
मसनवी गुलशने इश्क़
ओ तब नार को ....... ... ........ चौकी पै बैठालधरे ........... का आन भोजन का थाल
नुसरती
सोरठा
तिल नहि हवसी जान, चेरो राजा रूप को।
तिल नहि हवसी जान, चेरो राजा रूप को।आनन कंचन खान, बैठो चौकी देन को।।
मुबारक अली बिलग्रामी
कविता
अलक वर्णन- अलक मुबारक तिय बदन लटकि परी यों साफ।
लपटि मुबारक लट रही, माधे चॉवर चारु।मनु फनि बैठे चन्द पर चन्दन चौकी डारु।।
मुबारक अली बिलग्रामी
पद
देखो देखो सखि रे छब बालाकी
देखो देखो सखि रे छब बालाकी ।।ध्रुवपद।।शेषाचल पर आप बिराजे, चौकी हनुमंत लाला की ।
मानिक महाराज
कविता
नैन-वर्णन- अति है रसीले नैन कढ़ी तलवार जैसे
नेह के नगर माहि चौकी नित देत रहे,काहू से न डरे ऐसे आशक सुख चैन हैं।।
इश्कदीन
महाकाव्य
।। रसप्रबोध ।।
धरति न चौकी नगजरी यातें उर में ल्याइ।छाँह परे पर पुरुष की जिन तिय धर्म नसाइ।।81।।
रसलीन
कृष्ण भक्ति सूफ़ी कलाम
जब आए चौकी-दारों में तब वाँ भी ये सूरत देखीसब सोते पाए उस साअ'त हर आन जो देते थे चौकी
नज़ीर अकबराबादी
नज़्म
बंजारा-नामा
क्या मसनद तकिया मुल्क मकाँ क्या चौकी कुर्सी तख़्त छतरसब ठाठ पड़ा रह जावेगा जब लाद चलेगा बंजारा
नज़ीर अकबराबादी
सूफ़ी लेख
मीरा से संबंधित विभिन्न मंदिर- पद्मावती शबनम
यह भी संभव है कि मीरा बाई द्वारा की गई वृंदावनयात्रा एवं उस अवसर पर रूप