आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "ज़र्रों"
अत्यधिक संबंधित परिणाम "ज़र्रों"
ग़ज़ल
तु अपना कारवाँ ले चल न ग़म कर मेरे ज़र्रों काइन्हीं ज़र्रों से हो जाएगा फिर इक कारवाँ पैदा
मयकश अकबराबादी
कलाम
ख़ाक के कुछ मुंतशिर ज़र्रों को इंसाँ कर दियाउस ने जिस जल्वे को जब चाहा नुमायाँ कर दिया
माहिरुल क़ादरी
अन्य परिणाम "ज़र्रों"
ना'त-ओ-मनक़बत
मोहम्मद मुस्तफ़ा मेहर-ए-सिपहर-ए-औज-ए-'इरफ़ानीमिली जिस के सबब तारीक ज़र्रों को दरख़्शानी
हफ़ीज़ जालंधरी
ना'त-ओ-मनक़बत
वो ज़र्रों में लाखों जहाँ बन के चमकामगर फिर भी आँखों ने देखा नहीं है
डाॅ. ज़ुहूरुल हसन शारिब
ना'त-ओ-मनक़बत
ज़र्रों में ख़ाक-ए-पा के हैं शानें सुहैल कीअर्श अला से पूछ वक़ार अबुल-उ'ला
सीमाब अकबराबादी
ना'त-ओ-मनक़बत
उन के आगे और ठहरें कुफ़्र की तारीकियाँवो जो ज़र्रों को बना दें मुस्कुरा कर आफ़ताब
अदीब सहारनपुरी
कलाम
जहाँ होते नहीं दुनिया-ए-ग़म परवर के नज़्ज़ारेजहाँ ज़र्रों के दिल में परवरिश पाते हैं सय्यारे
एहसान दानिश
ना'त-ओ-मनक़बत
करते हैं अहल-ए-हसद तेरी हवा-ख़ेज़ी क्यामुमकिन उन ज़र्रों से ख़ुर्शीद का छुप जाना नहीं