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फ़ारसी कलाम
मरा गदा-ऐ-तू बूदन ज़े सल्तनत ख़ुश-तरकि ज़ुल्ल-ए-जौर-ओ-जफ़ा-ए-तू इ’ज़्ज़-ओ-जाह-ए-मनस्त
हाफ़िज़
शे'र
निकल कर ज़ुल्फ़ से पहुँचूँगा क्यूँकर मुसहफ़-ए-रुख़ परअकेला हूँ अँधेरी रात है और दूर मंज़िल है
अकबर वारसी मेरठी
ना'त-ओ-मनक़बत
तू शाह-ए-ख़ूबाँ तू जान-ए-जानाँ है चेहरा उम्मुल-किताब तेरान बन सकी है न बन सकेगा मिसाल तेरी जवाब तेरा
साइम चिश्ती
ना'त-ओ-मनक़बत
तू ही ख़ातम-ए-नुबुव्वत है तू ही ख़ातम-ए-रिसालत काख़ुदा से सिलसिला मिलता है जब तेरी नजाबत का
तसद्दुक़ अ’ली असद
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कलाम
सहबा अकबराबादी
ना'त-ओ-मनक़बत
तू शान-ए-शाह-ए-फ़ग़्फ़ूरी मु’ईनुद्दीन अजमेरीविलायत हिन्द है तेरी मु’ईनुद्दीन अजमेरी
चौधरी नासिर अली ख़ान
ना'त-ओ-मनक़बत
सुन ऐ बाद-ए-सबा तू जानिब-ए-तैबा अगर गुज़रेतो जा कर थामना बाब-ए-हरीम-ए-ख़ास के पर्दे
मुज़्तर ख़ैराबादी
फ़ारसी कलाम
तू जान-ए-पाके सर-ब-सर नै आब-ओ-ख़ाक ऐ नाज़नींवल्लाह ज़े जाँ हम पाक-तर रूही फ़िदाक ऐ नाज़नीं
जामी
ना'त-ओ-मनक़बत
ऐ तू जमाल-ए-किब्रिया हुस्न-ए-रुख़-ए-पयम्बरीख़ानूँ लक़ब स'ईद-ए-दीं क़ासिम-ए-गंज-ए-सरवरी
ख़्वाजा नाज़िर निज़ामी
ना'त-ओ-मनक़बत
शाह-ए-हसन सरताज तू ख़्वाजा हसन सुल्तान तूसाहिब-ए-’इल्म-ओ-बसीरत बंदा-ए-रहमान तू
अब्दुल्लाह अली ग़फ़्फ़ारी
फ़ारसी कलाम
ऐ सरापा-ए-तू दिलकश ऐ अदाहा-ए-तू शोख़ज़ुल्फ़-ए-हिन्दू-ए-तू सरकश चश्म-ए-शह्ला-ए-तू शोख़