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ना'त-ओ-मनक़बत
ज़ेहन-ओ-दिल में आप की उल्फ़त की जो तनवीर हैहर घड़ी नज़रों में आक़ा आप की तस्वीर है
हाज़िम हस्सान
ना'त-ओ-मनक़बत
हमारे ज़ेहन-ओ-दिल में ये सदा ईक़ान रहता हैजहाँ में आगही का इर्तिक़ा मौला 'अली से है
ख़ालिद नदीम बदायूँनी
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ग़ज़ल
जो पिला गई है तिरी नज़र उसी जाम का तो है ये असरमिरे ज़ेहन-ओ-दिल में भी आज तक वही नशा है वो ख़ुमार है
ख़्वाजा शायान हसन
ग़ज़ल
क्या कहें कूचे में उन के होश में हम कब रहेखो गए थे ज़ेहन-ओ-दिल पुर-नूर नज़्ज़ारों के बीच
शाहिद दमोही
फ़ारसी कलाम
दिल-ओ-जिगर नज़र-ओ-दीद: जान-ओ-तन हम: ऊस्तहर आंचे हस्त दरीं ख़िरक़:-ए-कोहन हम: ऊस्त
ग़ुलाम इमाम शहीद
ना'त-ओ-मनक़बत
है दर्द-ओ-ग़म से दिल मलूल रूही फ़िदा या रसूलहर दम है लुत्फ़-ए-हक़ नुज़ूल रूही फ़िदा या रसूल
अज्ञात
ग़ज़ल
जान-ओ- दिल सीं मैं गिरफ़्तार हूँ किन का उन काबंदा-ए-बे-ज़र-ओ-दीनार हूँ किन का उन का
सिराज औरंगाबादी
ना'त-ओ-मनक़बत
दिल-ओ-जाँ तुम पे क़ुर्बां हैं मु'ईनुद्दीन अजमेरीतुम्हारे बंदे सुल्ताँ हैं मु'ईनुद्दीन अजमेरी