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सवैया
जा दिन ते यमुना तट वाहि बजावत बाँसुरी नेक निहारो।
जा दिन ते यमुना तट वाहि बजावत बाँसुरी नेक निहारो।होशम रफ्तम मांद बदस्त भरोस रहै दिन रैन तिहारो।।
हफ़ीजुल्लाह ख़ान
सवैया
आज बजी यमुना तट फेरि कहूं मुरली जग मोहिनि हारी।
आज बजी यमुना तट फेरि कहूं मुरली जग मोहिनि हारी।ध्यान छुटे मुनि आदिन के अरु भूलि गई रम्भा नृतकारी।।
हफ़ीजुल्लाह ख़ान
सवैया
नेत्रोपालम्भ- जमुना-तट बीर गई जब ते तब तें जग के मन माँझ तहौ।
जमुना-तट बीर गई जब ते तब तें जग के मन माँझ तहौ।ब्रज मोहन गोहन लागि भटू हौ लटू भई लूट सी लाख लहौ।
रसखान
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सूफ़ी लेख
मीरां के जोगी या जोगिया का मर्म- शंभुसिंह मनोहर
साधेंगे जोग स्नेहगंगा के तट पै,बीनेंगे फूल भर डाली।’
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
फ़ारसी लिपि में हिंदी पुस्तकें- श्रीयुत भगवतदयाल वर्मा, एम. ए.
शाहजहाँ की प्रशंसानगर आगरो बसत है, जमुना तट अस्थान।
हिंदुस्तानी पत्रिका
सूफ़ी लेख
महाकवि सूरदासजी- श्रीयुत पंडित रामचंद्र शुक्ल, काशी।
(क) खेलन हरि निकसे ब्रज खोरी। गए श्याम रवि-तनया के तट, अंग लसति चंदन की खौरौ।।
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
कवित्त
मेरो प्रान-सजीवन राधा ।
रंग महल संकेत जुगल कै टहलिन करत सहेली ।आज्ञा लहौं रहौ तहँ तट पर बोलत प्रेम पहेली ।।
सुंदर कुंवरि बाई
सतसई
।। बिहारी सतसई ।।
बिहँसति सकुचति सी दिऐं कुच-आंचर बिच बांह।भीजैं पट तट कौं चली न्हाइ सरोवर मांह।।693।।
बिहारी
राग आधारित पद
सो जोगी जो या मनकूँ मारै, मनकूँ मार मनोरथ जारै- राग रामकली
सिव नगरी में आसण धारे, उलटि अगम विचारे रै।।त्रिवेणी तट लावै ताली, परम जोति निहारे रै।।
तुरसीदास
शबद
भेद का अंग - बै-रागी मन कहवां घर तुम किया तातें सहज सरूपी भेष लिया
कवनी जुगति तुम आसन माँड़ो कवनी देखो हियागंग जमुन तट आसन माँड़ो त्रिबेनी तट बारो दीया
गुलाल साहब
राग आधारित पद
राग पूर्वी चौताल - मोर मुकट पीत बसन सोहत मोहन नवल छैल नंदलाल
मोर मुकट पीत बसन सोहत मोहन नवल छैल नंदलालजमुना के तट-तट नट ज्यौं नाचत गावत तान रसाल
तानसेन
पद
मुरली के पद - मुरलियाँ कैसे धरे जिया धीर
मुरलियाँ कैसे धरे जिया धीरमधुवन बाज वृन्दावन बाजी तट जमुना के तीर
मीराबाई
पद
अभिलाशा के पद - बसो मेरे नैनन में नंदलाल
अधर-सुधा-रस मुरली राजत उर बैजन्ती-मालछुद्र घन्टिका कट तट शोभित नूपुर शब्द रसाल