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राग आधारित पद
दादर भूपाली- ए नये विषन भरे उर बेधत करेजो बेन
एक तेरी चितवन घायल कीन्ही दूजे बंशी
की तान जादू चला वै।।
क़ाज़िम वा क़ायम
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दोहा
पहिले साधै बचन कूँ, दुजे साधै देह ।
पहिले साधै बचन कूँ, दूजे साधै देह
तीजे मन कूँ साधिये, उर सूँ राखै नेह
चरनदास जी
राग आधारित पद
होली-काफी- करावें कौन बहाना गवन हमरा नगिचाना।
करावें कौन बहाना गवन हमरा नगिचाना।
सब सखियन मों चुनर मोरी मैली दूजे पिया घर जाना।
वहजन
राग आधारित पद
ठुमरी पीलू जंगला- "कदर" को कैसे भेजू मैं पांती।
"कदर" को कैसे भेजू मैं पांती।
एक तो सूनी सेज नागिन सी दूजे कारी रैन पापिन,
क़दर
महाकाव्य
।। रसप्रबोध ।।
इक भूषन सखि सजति है पिय को आगम जानि।
दूजे नवला स्वेद ते निजतन राचति आनि।।375।।
रसलीन
खंडकाव्य
यूसुफ़ जुलेखा (स्वप्न दर्शन खंड)
तुम्हरे विरह भयउ अग्याना। छांड़ेउ नगर औ देस अपाना।
सदा मोहि तुम नेह बिसेखौ। दूजे पुरूष और निजि देखौ।
शैख़ नज़ीर
अष्टपदी
ज्ञान मति वर्णन - तन मथने को जतन कहूँ अब जानिये
मूल चक्र सों खौंचि अपान चलाइये
दूजे चक्कर पास जु आन फिराइये
चरनदास जी
राग आधारित पद
कौन करे पीत मोहन के सँग
एक तो मैं मारी बिरहा बिथा की
दूजे देत हैं लाग लगाए
मख़्दूम ख़ादिम सफ़ी
क़िस्सा काव्य
हीर वारिस शाह
वारिस शाह आइ चम्बड़ी रांझने नूं, जेहा गधे दे गले विच्च लाल होवे ।
508. इक्क दूजे नाल मुलाकात
वारिस शाह
शबद
दूजा नहीं बिगोना आप समझ ले तू भाई
तेरे दोष दूजे में मापें ये तेरी मूरखताई
जो कोई बात बताओ जैसी समझ में आई
अवगतदास
कलाम
खयाल-ए-मा-सिवा पी की नगरिया कैसे ले जाऊँ
वो यक्ता है मैं दूजे की गगरिया कैसे ले जाऊँ