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सवैया
देह सराव तेल पुनि मारूत, बाती अंतःकरण बिचार।
देह सराव तेल पुनि मारूत, बाती अंतःकरण बिचार।प्रगट जोति यह चेतनि दीसै, जातैं भयो सकल संसार।।
सुंदरदास छोटे
बैत
जफ़ा पेशगाँ रा ब-देह सर ब-बाद
जफ़ा पेशगाँ रा ब-देह सर ब-बादसितम-बर-सितम पेशः 'अद्ल अस्त-ओ-दाद
सादी शीराज़ी
सलोक
फ़रीदा देह जहसरि भई नैनी वहै सरेस
फ़रीदा देह जहसरि भई नैनी वहै सरेससै कोहाँ मंजा भया अंङन थिया बिदेश
बाबा फ़रीद
साखी
सुन्दर बंधै देह सौं, तौ यह देह निषिद्ध ।
सुन्दर बंधै देह सौं, तौ यह देह निषिद्ध ।जौ याकी ममता तजै, तौ याही में सिद्धि।।
सुंदरदास छोटे
फ़ारसी सूफ़ी काव्य
साक़िया बादः देह इमरोज़ कि जानाँ ईं जास्तसर-ए-गुलज़ार न-दारेम कि बुस्ताँ ईं जास्त
अमीर ख़ुसरौ
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फ़ारसी कलाम
ब-देह दस्त-ए-यक़ीं ऐ दिल ब-दस्त-ए-शाह-ए-जीलानीकि दस्त-ए-ऊ बुवद अंदर हक़ीक़त दस्त-ए-यज़्दानी
शाह नियाज़ अहमद बरेलवी
सलोक
फ़रीदा सो दर सच्चा देह जित मन लबु जाह
फ़रीदा सो दर सच्चा देह जित मन लबु जाहराज माल कह खउ अमालन वच लिखाह
बाबा फ़रीद
फ़ारसी कलाम
साक़िया मय देह कि मा दुर्दी-कश-ए-मय-ख़ान:एमबा ख़राबात आश्ना व अज़ ख़िरद बेगान:एम
सादी शीराज़ी
फ़ारसी कलाम
साक़ी-ए-फ़र्रूख़-ए-रुख़-ए-मन जाम चू गुलनार ब-देहबहर-ए-मन अर मी न-देही बह्र-ए-दिल-ए-यार ब-देह
रूमी
बैत
म-देह ता-तवानी दरीं जंग पुश्त
म-देह ता-तवानी दरीं जंग पुश्तकि ज़िंद:-स्त 'सादी' चू इश्क़श ब-कुश्त
सादी शीराज़ी
दोहा
पहिले साधै बचन कूँ, दुजे साधै देह ।
पहिले साधै बचन कूँ, दूजे साधै देहतीजे मन कूँ साधिये, उर सूँ राखै नेह
चरनदास जी
फ़ारसी कलाम
मर्हबा ऐ पैक-ए-मुश्ताक़ाँ ब-देह पैग़ाम-ए-दोस्तता कुनम जाँ अज़ सर-ए-रग़बत फ़िदा-ए-नाम-ए-दोस्त
हाफ़िज़
दोहा
भये मगन सब प्रेम रस, भूलि गए निज देह ।
भये मगन सब प्रेम रस, भूलि गए निज देह ।लघु दीरघ वै नारि नर, सुमिरत श्याम-सनेह ।।
रत्नकुंवरि बाई
दोहा
देह बुद्धि सो अज्ञता, ब्रह्म बुद्धि सो ग्यान।।
देह बुद्धि सो अज्ञता, ब्रह्म बुद्धि सो ग्यान।।अंजन रंजन ता नही, सो स्वरूप भगवान।।
स्वामी भगवानदास जी
दोहा
काहू पूरब पुन्य करि, तैं पाई नर देह।।
काहू पूरब पुन्य करि, तैं पाई नर देह।।कै महरवान हो मौजदी, जन्म सुफल कर लेह।।
महात्मा षेमदास जी
फ़ारसी कलाम
म-देह तकलीफ़-ए-इल्म-ए-रस्मियम ऐ ’आलिम-ए-हालमपरेशाँ हालियम रू मी-देहद अज़ दर्स-ए-अबवाबम
शाह नियाज़ अहमद बरेलवी
फ़ारसी कलाम
साक़ी-ए-फ़र्ख़ुन्द:-रू ख़ेज़- व ब-देह जाम रावज़ मय-ए-ख़ुद मस्त कुन ईं दिल-ए-नाकाम रा