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पद
सुनता नहीं धुन की ख़बर अनहद का बाजा बाजता
सुनता नहीं धुन की ख़बर अनहद का बाजा बाजतारस मंद मंदिर बाजता बाहर सुने तो क्या हुआ
कबीर
पद
मन की साधना -धुन धुन डालूं अब मन को । मैं धुनिया सतगुरु चरनन को ।।
धुन धुन डालूं अब मन को। मैं धुनिया सतगुरु चरनन को।।मन कपास सूरत कर रूई। काम बिनौले डाले खोई।।
शिवदयाल सिंह
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होरी
तिल्लाना- ताद्रिम त्रिदिम त्रिदिम त्रिदिम, धम ध्रिकट ध्रिकट धुन धरना ।।
गुरगम गुरगम धम ध्रिकट ध्रिकट धुन धरना ।।
तुलसी साहिब हाथरस वाले
पद
भक्ति-स्वरूप - मन मन धुन से भक्ति करो री
मन मन धुन से भक्ति करो रीमन मन धुन से भक्ति करो री
शालीग्राम
राग आधारित पद
मालकोंश धमार- अहौ धुन धुकार डफ मृदंग बजत है बिच मुरली घनघोरी।
अहौ धुन धुकार डफ मृदंग बजत है बिच मुरली घनघोरी।चोवा चंदन और अरगजा केसर रंग में वौरी।
मोहम्मद शाह रंगिला
पद
मुरली के पद - कलेजे म्हारे बाँसुरी की धुन लागो
कलेजे म्हारे बाँसुरी की धुन लागोहों अपने गिरह काज करत रही श्रवण सुनत उठ भागी
मीराबाई
पद
हमसों रहा न जाय मुरली कै धुन सुन के
हमसों रहा न जाय मुरली कै धुन सुन केबिना बसंत फूल इक फूलै भँवर सदा बोलाय
कबीर
बैत
आए वो आए रात उसी धुन में कट गई
आए वो आए रात उसी धुन में कट गईएहसास तक हुआ न हमें इंतिज़ार का
आह संभली
पद
अपनी विरह-कथा - सावन मास मेघ घिर आये गरज-गरज धुन शब्द सुनाये
सावन मास मेघ घिर आये गरज-गरज धुन शब्द सुनायेरिम-झिम बरपा होवत भारी हिय बिच लागी बिरह कटारी
शालीग्राम
राग आधारित पद
श्रीराग ताल धीमा तिताला - मुरली की धुन सुन चकित भई सब ब्रज की नारी
मुरली की धुन सुन चकित भई सब ब्रज की नारीसुधि न रही कछु आपन तन-मन-घर की
तानसेन
पद
चेतावनी -घट भीतर तू जाग री, है सुरत पुरानी ।
नरदेही पाई सहज, सतसंग समानी।सुरत घाट अब पाइया, धुन शब्द पिछानी।।
शिवदयाल सिंह
सूफ़ी लेख
संत रोहल की बानी- दशरथ राय
ओअहं सोअहं बेकथा, अजपा जाप प्रकास। अंतर धुन लगी आत्मा, निहचै भयो विसास।।