आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "नासेह"
अत्यधिक संबंधित परिणाम "नासेह"
शे'र
मुरीद-ए-पीर-ए-मय-ख़ाना हुए क़िस्मत से ऐ नासेहन झाड़ें शौक़ में पलकों से हम क्यूँ सहन-ए-मय-ख़ाना
इब्राहीम आजिज़
शे'र
ये है मुख़्तसर फ़साना मिरी ज़िंदगी का नासेहग़म-ए-आशिक़ी फ़क़त था ग़म-ए-दो-जहाँ से पहले
अफ़क़र मोहानी
शब्दकोश से सम्बंधित परिणाम
अन्य परिणाम "नासेह"
ग़ज़ल
चैन से रहने न दे गा इज़्तिराब-ए-दिल मुझेवर्ना फ़ुर्क़त में भी जी लेना न था मुश्किल मुझे
अख़तर नासेह नसीब
सूफ़ी लेख
तुलसीदासजी की सुकुमार सूक्तियाँ- राजबहादुर लमगोड़ा
यह कहाँ की दोस्ती है, कि बने है दोस्त नासेह।कोई चारसाज़ होता, कोई ग़मगुसार होता।
माधुरी पत्रिका
ग़ज़ल
बताऊं क्या तुम्हें नासेह कि क्यूँ-बे चैन हूँ उस बिनदिल-ए-मुज़्तर ही बेताबी को जब अपनी दवा जाने
बेख़ुद सुहरावरदी
ग़ज़ल
तबी’अत भी बदल जाती है शायद ‘इश्क़ में नासेहजो अच्छी बात है वो भी बुरी मा’लूम होती है