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सूफ़ी लेख
हज़रत गेसू दराज़ का मस्लक-ए-इ’श्क़-ओ-मोहब्बत - तय्यब अंसारी
मोहब्बत की इस अबदियत को साबित कर के हज़रत गेसू दराज़ दा’वत दे रहे हैं।फ़रमाते हैं-ऐ
मुनादी
सूफ़ी लेख
हज़रत शैख़ बहाउद्दीन ज़करिया सुहरावर्दी रहमतुल्लाह अ’लैह
चुनाँचे मुतरिबा हज़रत शैख़ बहाउद्दीन ज़करिया के सामने लाई गई, मगर उस पर ऐसा रो’ब तारी
सूफ़ीनामा आर्काइव
सूफ़ी लेख
मौलाना जलालुद्दीन रूमी
सौदागर ने वा’दा किया कि उस का पयाम-ओ-सलाम उस की क़ौम तक पहुंचा देगा। जब हिन्दोस्तान
सुमन मिश्रा
मल्फ़ूज़
फिर इसी के मुनासिब फ़रमाया कि वह्ब इब्न–ए-मुनब्बह रज़ी अल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि एक
बाबा फ़रीद
सूफ़ी कहानी
एक मुक़य्यद तूती का हिंदुस्तान के तूतियों को पैग़ाम भेजना - दफ़्तर-ए-अव्वल
सौदागर ने वा’दा किया कि उस का पयाम-ओ-सलाम उस की क़ौम तक पहुंचा देगा। जब हिन्दोस्तान
रूमी
सूफ़ी कहानी
बंदा-ए-आ’जिज़ का अल्लाह अल्लाह करना ही ऐ’न ख़ुदा का जवाब देना है- दफ़्तर-ए-सेउम
एक शख़्स रात को अल्लाह अल्लाह कर रहा था ताकि ज़िक्र से उस के होंट शीरीं
रूमी
सूफ़ी कहानी
देहाती का शहरी को तसन्नो' से दोस्त बनाना- दफ़्तर-ए-सेउम
तू फ़क़ीरी और बे-ख़ुदी की बड़ी हाँकता था और आ’शिक़ान-ए-ख़ुदा की सी बातें बनाता था कि
रूमी
सूफ़ी कहानी
एक तोते का गंजे फ़क़ीर को अपनी तरह समझना - दफ़्तर-ए-अव्वल
एक पंसारी के पास तरह तरह की बोलियाँ बोलने वाला, ख़ुश-रंग तोता था।वो दुकान की निगहबानी
रूमी
सूफ़ी कहानी
एक हकीम का मोर पर ए’तराज़ करना जो अपने पर आप उखेड़ रहा था - दफ़्तर-ए-पंजुम
एक मोर जंगल मैँ अपने पर उखेड़ रहा था। एक हकीम भी उस तरफ़ सैर करता
रूमी
सूफ़ी कहानी
लड़कों का उस्ताद को वह्म से बीमार कर डालना- दफ़्तर-ए-सेउम
अल-ग़र्ज़ बिछौना लाकर उसने बिछा दिया। अगरचे दिल में बहुत जल रही थी कि अगर अब
रूमी
सूफ़ी कहानी
एक आ’राबी का ख़लीफ़ा-ए-बग़दाद के पास खारी पानी बतौर तोहफ़ा ले जाना - दफ़्तर-ए-अव्वल
फिर आ’जिज़ी से कहने लगी। मियां मैं तेरी बीवी नहीं तेरे पांव की ख़ाक हूँ। मैं
रूमी
सूफ़ी साहित्य
मूनिस-उल-अर्वाह
वालिद-ए-माजिद की मीरास से आप को एक बाग़ और एक पन-चक्की पहुँची थी। आप उस के