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दिल फंसा कर ज़ुल्फ़ में ख़ुद है पशेमानी मुझेदह्र में ख़ल्क़-ए-ख़ुदा कहती है ज़िंदानी मुझे
सादिक़ लखनवी
ग़ज़ल
दिल फँसा कर ज़ुल्फ़ में ख़ुद है पशेमानी मुझेदह्र में ख़ल्क़-ए-ख़ुदा कहती है ज़िंदानी मुझे
सादिक़ लखनवी
सूफ़ी लेख
शैख़ सा’दी का तख़ल्लुस किस सा’द के नाम पर है ?
सेवमीन तोब:-ओ-पशेमानी अस्तचारुमीन शर्त-ओ-अ’हद-ओ-सौगंदस्त
एजाज़ हुसैन ख़ान
सूफ़ी लेख
दाता गंज-बख़्श शैख़ अ'ली हुज्वेरी
हफ़्तुम: पशेमानी सख़ावत को खा जाती है।हश्तुमः तकब्बुर ’इल्म को खा लेता है।
डाॅ. ज़ुहूरुल हसन शारिब
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ग़ज़ल
जाओ बैठो चैन से मैं क्या कहूँ तुम क्या सुनोअब पशेमानी से क्या हासिल सितम ढाने के बा'द