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फ़ारसी सूफ़ी काव्य
बुलबुले बर्ग-ए-गुले-ख़ुश-रंग दर मिंक़ार दाश्त
वंदर आँ-बर्ग-ओ-नवा-ख़ुश-नालः-हा-ए-ज़ार दाश्त
हाफ़िज़
शे'र
सर-ओ-बर्ग-ए-ख़ुशी ऐ गुल-बदन तुझ बिन कहाँ मुझ को
गुलिस्तान-ए-दिल आया फ़ौज-ए-ग़म की पाएमाली में
मीर मोहम्मद बेदार
नज़्म
क़ौमी यक-जेहती
ख़ार-ओ-ख़स ग़ुंचा-ओ-गुल बर्ग-ओ-शजर शाख़-ओ-समर
सब गुलिस्ताँ के लिए हुस्न का गंजीना हैं
अज़ीज़ वारसी देहलवी
शे'र
जिगर मुरादाबादी
ग़ज़ल
शहीद-ए-इ’श्क़-ए-मौला-ए-क़तील-ए-हुब्ब-ए-रहमाने
जनाब-ए-ख़्वाजः क़ुतुबुद्दीं इमाम-ए-दीन-ओ-ईमाने
वाहिद बख़्श स्याल
सूफ़ी कहावत
रू-ए ज़ेबा मरहम-ए-दिलहा-ए-ख़स्ता अस्त-ओ-कलीद-ए-दरहा-ए-बस्ता
एक ख़ूबसूरत चेहरा दुखी दिलों के लिए मरहम की तरह होता है, और बंद दरवाजों के लिए कुंजी
वाचिक परंपरा
ना'त-ओ-मनक़बत
गुल-ए-बुस्तान-ए-मा'शूक़ी मह-ए-ताबान-ए-महबूबी
निज़ामुद्दीन सुल्तान-उल-मशाइख़ जान-ए-महबूबी