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ना'त-ओ-मनक़बत
शहबाज़ असदक़
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ना'त-ओ-मनक़बत
ज़मीं को आसमाँ पर दा'वा-ए-बाला मकानी हैकि उस पर वो मकान-ए-ला-मकानी का मकीं आया
शाह फ़ज़्ल-ए-रसूल बदायूँनी
ग़ज़ल
सर्व-ए-गुलशन पर सुख़न उस क़द का बाला हो गयाहर निहाल इस शर्म सीं जंगल का पाला हो गया
सिराज औरंगाबादी
बैत
घटा का'बे से बाला-ए-फ़राज़-ए-कोहसार आई
घटा का'बे से बाला-ए-फ़राज़-ए-कोहसार आईमुबारक बादा-नोशो रहमत-ए-परवरदिगार आई
क़मर बदायूँनी
ना'त-ओ-मनक़बत
हुआ सारे जहाँ में बोल-बाला ग़ौस-ए-आ’ज़म काहक़ीक़त तो ये है रुत्बा है आ'ला ग़ौस-ए-आ’ज़म का
पीर नसीरुद्दीन नसीर
सूफ़ी लेख
हकीम शाह अलीमुद्दीन बल्ख़ी फ़िरदौसी
हिन्दुस्तान के अलावा पाकिस्तान, बंगला देश और सात समुंदर पार दूसरे देशों में हज़रत मख़दूम मोहम्मद
रय्यान अबुलउलाई
ना'त-ओ-मनक़बत
हुदूद-ए-अक़्ल से बाला है 'अज़्मत ग़ौस-ए-आ'ज़म कीख़ुदा ही जनता है शान-ए-रिफ़’अत ग़ौस-ए-आज़म की
सलमान आरीफ़ बरेलवी
फ़ारसी कलाम
सर्व-ए-बाला-ए-तु ख़ुश आ’रिज़-ए-ज़ेबा-ए-तु ख़ुशऐ परी नाम-ए-ख़ुदा हस्त सरापा-ए-तु ख़ुश