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ना'त-ओ-मनक़बत
पैकर-ए-ख़लक़-ओ-मोहब्बत हैं शह-ए-तेग़-ए-अ’लीसाहब-ए-किरदार-ओ-सीरत हैं शह-ए-तेग़-ए-अ’ली
ज़फ़र अंसारी ज़फ़र
ना'त-ओ-मनक़बत
शरीअ'त के मोबल्लिग़ मा'रिफ़त के तर्जुमाँ तुम होये हक़ है मेरे मौला वारिस-ए-शाह-ए-ज़माँ तुम हो
ज़फ़र अंसारी ज़फ़र
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ना'त-ओ-मनक़बत
क्यूँ न हो हर-सम्त शहर ख़्वाजा-ए-अजमेर काहिन्द के दिल पर है क़ब्ज़ा ख़्वाजा-ए-अजमेर का
ज़फ़र अंसारी ज़फ़र
ना'त-ओ-मनक़बत
इतने आ'ला इतने अफ़ज़ल इतने बरतर हैं अ'लीइ'ल्म के घर हैं नबी तो इ'ल्म के दर हैं अ'ली
ज़फ़र अंसारी ज़फ़र
ना'त-ओ-मनक़बत
अल्लाह रे ये मर्तबा-ओ-शान-ए-मोहम्मदहैं अर्ज़-ओ-समा ताबे’-ए-फ़रमान-ए-मोहम्मद
ज़फ़र अकबराबादी
ना'त-ओ-मनक़बत
ख़ालिक़ पे जान-ओ-माल से क़ुर्बां हुसैन हैरूदाद-ए-सब्र-ओ-ज़ब्त का 'उन्वाँ हुसैन है
आरिफ़ नक़्शबंदी
ना'त-ओ-मनक़बत
डॉ. शाह ख़ुसरौ हुसैनी
ना'त-ओ-मनक़बत
हसनी हुसैनी किस का शजरा सदरुद्दीन बुख़ारी कारोज़-ए-महशर किस का जल्वा सदरुद्दीन बुख़ारी का
ज़फ़र लखनपुरी
छप्पय
पूत कलित परिवार, माल वहौ मुलक वड़ाई।
पूत कलित परिवार, माल वहौ मुलक वड़ाई।ऊँचा महल अवास, सैल सजन सुखदाई।।