आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "भटकता"
अत्यधिक संबंधित परिणाम "भटकता"
अन्य परिणाम "भटकता"
ग़ज़ल
महफ़िलों में किया लोगों ने 'मुज़फ़्फ़र' की तलाशवो भटकता हुआ अफ़्कार की वादी में मिला
मुज़फ़्फ़र वारसी
ना'त-ओ-मनक़बत
दश्त-ए-ग़ुर्बत में भटकता फिर रहा है रोज़-ओ-शबज़िंदगी का क़ाफ़िला ऐ हादी-ए-दुनियानिना
इश्तियाक़ आलम शहबाज़ी
शबद
अरे समझ ले बंदे कोई नहीं तेरा
विषयों कारण फिरा भटकता दर-दर धक्के खाये अकनारात दिना फिर खूब कमाया जोड़ा है माल बहुतेरा
नेकीराम
सूफ़ी लेख
पदमावत की एक अप्राप्त लोक कथा-सपनावती- श्री अगरचन्द नाहटा
बेचारा राजकुमार मोर दर दर ठोकर खाता फिरने लगा। नौकरी की तलाश में भटकता रहा। एक
सम्मेलन पत्रिका
सूफ़ी लेख
सन्तरण कृत गुरु नानक विजय - जयभगवान गोयल
आवागमन और कर्मफल में भी सन्तरेण को विश्वास है। उनका कथन है कि आवागमन से मुक्ति
हिंदुस्तानी पत्रिका
सूफ़ी लेख
मंसूर हल्लाज
हज़रत शिब्ली रहमतुल्लाहि-अ’लैह से जाकर मिले और कहा कि एक बड़ी मुहिम दर-पेश है।मेरी नज़र से
निज़ाम उल मशायख़
सूफ़ी लेख
कबीर जीवन-खण्ड- लेखक पं. शिवमंगल पाण्डेय, बी. ए., विशारद
कबीर मूर्ति-पूजा के कट्टर विरोधी थे। वे कहते हैं कि ईश्वर परोक्ष और अद्रष्टव्य है, और
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
अल-ग़ज़ाली की ‘कीमिया ए सआदत’ की पाँचवी क़िस्त
उत्तर- जो पुरुष दूसरों की बात सुनकर भटकता रहता है, वह तो अन्धा है। जो लोग