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कृष्ण भक्ति सूफ़ी कलाम
रुत बरखा की आई सुहानी रिमझिम-रिमझिम बरसे पानीपागल मनवा हर-पल तड़पे बाँके मुर्शिद याद है आए
अब्दुल हादी काविश
सूफ़ी लेख
अमीर ख़ुसरो - तहज़ीबी हम-आहंगी की अ’लामत - डॉक्टर अनवारुल हसन
व या ख़ुद सायः-इ या माहताबेस्त।।यहाँ का एक कपड़ा तो ऐसा बारीक होता है कि अगर
सूफ़ीनामा आर्काइव
सूफ़ी लेख
Jamaali – The second Khusrau of Delhi (जमाली – दिल्ली का दूसरा ख़ुसरो)
हालांकि क़सीदा लिखने वालों के लिए ‘उर्फ़ी’ ने लिखा था कि क़सीदा ज़रूरतमंदों का हुनर है