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सूफ़ी उद्धरण
गुरु की बात पर ऐसे यक़ीन करो जैसे मा'सूम बच्चा अपने माँ बाप की बात पर यक़ीन करता है, उस बे-यक़ीनी के दौर में यक़ीन का हासिल होना करामत से कम नहीं।
वासिफ़ अली वासिफ़
सूफ़ी उद्धरण
जिसने माँ बाप का अदब किया उस की औलाद भी उसका अदब करेगी।।।नहीं तो नहीं।
जिसने माँ बाप का अदब किया उस की औलाद भी उसका अदब करेगी।।।नहीं तो नहीं।
वासिफ़ अली वासिफ़
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सूफ़ी कहानी
एक लड़के का अपने बाप का मातम करना और मस्ख़रे की उस पर राय-ज़नी- दफ़्तर-ए-दोउम
एक लड़का अपने बाप के ताबूत पर फूट फूटकर रोता और सर पीटता था, कि ऐ
रूमी
पद
दिल की गाँठ खोलो यारो नाम बोलो
जोरू लरके माँ-बाप सब पसारे हातहत्ति घोड़े पालख मैना नहि आवे सात
एकनाथ
ना'त-ओ-मनक़बत
मह्द मादर का मज़ा देती हैं आग़ोश हतीमजिस पे माँ बाप फ़िदा याँ करम उन का देखो
अहमद रज़ा ख़ान
कलाम
न माँ मुरीद, न मॉ पीरू, सारे फक़र जो फ़क़ीरु।न माँ हाकिमु, न माँ ज़ालिमु, आहियॉ अमन जो अमीरु।
सचल सरमस्त
ना'त-ओ-मनक़बत
अबुल-क़ासिम मोहम्मद इब्न-ए-'अब्दुल्लाह सल्लल्लाहुफ़िदा उन पर मिरे माँ बाप मेरा ख़ानदाँ तक है
तल्हा रिज़वी बरक़
ना'त-ओ-मनक़बत
बेटियाँ इस दौर में माँ बाप का करतीं नहींजितना ऐ इज़हार भाई का अदब ज़ैनब में है
इज़हार जबलपुरी
सूफ़ी कहानी
एक शख़्स का बर बिना-ए-बदनामी माँ को मार डालना- दफ़्तर-ए-दोम
एक शख़्स ने ग़ैरत में आकर अपनी माँ को घूंसों और ख़ंजरों से मार डाला। किसी
रूमी
ना'त-ओ-मनक़बत
मर्हबा माँ बाप को मर्ज़ी पे रब की छोड़ करउम्मत-ए-‘आसी को हक़ से बख्शवाना याद है
हुनर सिल्लोडी
सूफ़ी कहानी
कहानी -22-राजनीति- गुलिस्तान-ए-सा’दी
बादशाह ने पूछा, इस समय हँसने की क्या बात है?लड़का बोला, बच्चा अपने माँ-बाप पर नाज़