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कवित्त
मुकुट की चटक लटक बिबि कुण्डल की
मुकुट की चटक लटक बिबि कुण्डल की,भौह की मटक नेकु ऑखिन देखाउ रे।
आदिल
दोहा
मोर मुकुट कटि काछनी मुरली सबद रसाल
मोर मुकुट कटि काछनी, मुरली सबद रसालआवत है बनि विमल कै मेरे लाल 'जमाल'
जमाल
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कलाम
मंज़ूर आरफ़ी
सूफ़ी लेख
मीरां के जोगी या जोगिया का मर्म- शंभुसिंह मनोहर
इस कुमारी का रसजोगी?’3. ‘इस मुकुट को पहनोगी?
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
पद
भजमन साहेब मोहनलाल
भजमन साहेब मोहनलाल ।।ध्रु0।।कानन कुंडल मुकुट बिराजे, गलबीच मोतनमाल ।।
माधव मुनीष्वर
राग आधारित पद
ठुमरी पर्व- सखी अब क्या करुं न माने री
सखी अब क्या करुं न माने रीमोर मुकुट वाला ढीठ लंगरवा,
सनद
राग आधारित पद
ध्रुपद खम्माच- बंसी मुख सों लगाय ठाढ़े श्री राधा वर।
सीस मुकुट चमके मकराकृत कुंडल दमके।'फरहत' अति प्यारी घुघुरारी अलक तिलक भाल।।
फरहत
पद
मो मन परीं है यह बान ।
कमल नैन विशाल सुन्दर मन्द मुख मुसुकान ।सुभग मुकुट सुहावनो सिर लसे कुण्डल कान ।।
प्रताप बाला
सतसई
।। बिहारी सतसई ।।
मोर-मुकुट की चंद्रिकनु यौं राजत नँदनंद।मनु ससिरसेखर की अकस किय सेखर सतचंद।।419।।
बिहारी
कवित्त
भक्तोद्गार- छैल जो छबीला सब रंग में रंगीला
माल गले सोहै नाक मोती सेत जोहे कानकुण्डल मन मोहै लाल मुकुट सिर धारा है।।
ताज जी
महाकाव्य
।। रसप्रबोध ।।
ज्यों राजन के मुकुट तें अति सोभा सरसाइ।।1।।अलख अनादि अनंत नित पावन प्रभु करतार।
रसलीन
पद
श्री बृन्दावन मो अजयत ब्रिजराज बिराजत है
कर महे कर मुकुट रसाला, मालाकार भई व्रिजबालामरकत मजनिस श्री गोपाला, सुवर्ण नमनी त्रय अधर प्रवाला
अमृत राय
पद
देखो देखो सखि रे छब बालाकी
मोर मुकुट मस्तक पर सोहे, बहुत लगी लड़ माला की ।माणिक के मन सुमरत बाला, फासा कटे भवजाला की ।।