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नज़्म
ऐसी ही इंतिज़ार में लज़्ज़त अगर न हो
जिस दिल को तेरी याद में अपनी ख़बर न होमुरझा के रह न जाए कहीं तू मुझे है डर
रियाज़ ख़ैराबादी
कलाम
अनवर फ़र्रूख़ाबादी
सूफ़ी लेख
दारा शिकोह और बाबा लाल बैरागी की वार्ता
रोज़ ए अजल से इस जहान ए फ़ानी के अर्श पर गर्दिश करती आत्मा की यह
सुमन मिश्र
व्यंग्य
मुल्ला नसरुद्दीन- तीसरी दास्तान
ख़ोजा नसरुद्दीन को उस के लिए कतई अफ़्सोस न था, क्योंकि ज़ाहिर था कि उसके न
लियोनिद सोलोवयेव
व्यंग्य
मुल्ला नसरुद्दीन- दूसरी दास्तान
लेकिन वज़ीर, रईस और आ’लिम जादू जैसी इस ख़ूब-सूरती की तरफ़ से आंख-कान बन्द किये, बहरे
लियोनिद सोलोवयेव
सूफ़ी लेख
रामावत संप्रदाय- बाबू श्यामसुंदर दास, काशी
हिंदी साहित्य का इतिहास तीन मुख्य कालों में विभक्त किया जा सकता है- प्रारंभ काल, मध्य