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जग्ग पर जीवन बाज्ह प्यारे होया मुहाल असानूं
जग्ग पर जीवन बाज्ह प्यारे होया मुहाल असानूं
भुल गई सुध बुध जां लगा इशक कमाल असानूं
मियां मोहम्मद बख़्श
दकनी सूफ़ी काव्य
रियाज़ उल आरफ़ीन
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दख़ल इस दरगाह का है मुजको मुहाल
इसहाक़ बीजापुरी
फ़ारसी सूफ़ी काव्य
इश्क़ मी बाज़द कनूँ बा ज़ुल्फ़-ओ-ख़ाल
ख़िर्क़: गश्तस मुख़्रक़: हालश मुहाल
फ़रीदुद्दीन अत्तार
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दकनी सूफ़ी काव्य
मसनवी हुस्न व दिल
दिल मने मेरे हुआ है यो ख़याल
जिवना उस बाज है मुज कूँ मुहाल
शैख़ ज़ुहूरुद्दिन हातिम
गूजरी सूफ़ी काव्य
दुई वजूद को मौजूद होना
दुई वजूद को मौजूद होना
ये तो बात मुहाल है लोकाँ
शाह अली जीव गामधनी
ना'त-ओ-मनक़बत
मुहाल ठहरे भला क्यूँ न मुस्तफ़ा की नज़ीर
ख़ुदाए यक ने यगाना उन्हें बनाया है