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कवित्त
बाजत नगारे मेघ ताल देत नदी नारे
बाजत नगारे मेघ ताल देत नदी नारे,झीगुरन झाँझ भेरी बिहँग बजाई है।
मुबारक अली बिलग्रामी
कवित्त
चांद से चकोरे टले मेघ से भी मोर टले
चांद से चकोरे टले मेघ से भी मोर टले,चोरी से चोर टले दिल से दिलदार जो।
शहरयार मिर्ज़ा
दोहा
विनय मलिका - सकल मेघ लै इन्द्र जब ब्रज पै बरसो आय
सकल मेघ लै इन्द्र जब ब्रज पै बरसो आयगोबरधन नख पै धरो सब ब्रज लियो बचाय
दया बाई
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पद
जय सरस्वती गनेश महादेव शक्ति सूर्य सब देव
भैरव मालकोश हिंडाल दीपक श्री मेघ मूर्तिवंतहृदय रहे ठाठ।
गोपाल नायक
सूफ़ी लेख
समर्थ गुरु रामदास- लक्ष्मीधर वाजपेयी
कीं हे अमृताचे मेघ बोकले। कीं हे नवरसाचे बोध लोटले।
माधुरी पत्रिका
चौपाई
पद्मावत 1.1 सँवरौं आदि एक करतारू । जेइँ जिउ दीन्ह कीन्ह संसारू ।
कीन्हेसि धूप सीउ औ छाहाँ । कीन्हेसि मेघ बीजु तेहि माहाँ ।।1।।
मलिक मोहम्मद जायसी
कवित्त
भक्तोद्गार- बिधि को भरोसो सब सृष्टि के बनायबे को
इन्द्र को भरोसो मेघ माला बरसायबे को,सूर को भरोसो अमरावती सदन को।।
ताज जी
कवित्त
चातक उशीर वीर बकसी समीर धीर
मेघ आम खास जामे दामिनी तखत वहपावस न होय पंचबान को दिवान है।।
खान सुलतान
पद
रणखांम गढा अस्मान बराबर, ध्वजाउंच
चन्द्र सुरज दो डाउ डाउकर नडा छूटकरखडा मेघ गडगडा गुमानिल लडा उठकर खडा लढा,
अमृत राय
छंद
पग बिन कटे न पंथ वाहु बिन हटे न दुर्जन।
गुरु बिन मिले न ज्ञान द्रव्य बिन मिले न आदर।बिना पुरुष सिंगार मेघ बिन कैसे दादुर।।
बैताल
महाकाव्य
।। अंगदर्पण ।।
सूधी पटिया माँग बिनु माथे केसर खौर।नेह कियो मनु मेघ तजि तडित चंद सों दौर।।23।।
रसलीन
सूफ़ी लेख
सूर के भ्रमर-गीत की दार्शनिक पृष्ठभूमि, डॉक्टर आदर्श सक्सेना
अपने तौ पठवत नहिं मोहन, हमरे फिरि न फिरे।कागद गरे मेघ मसि खूटी, सर दब लागि जरे।