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शे'र
निकल कर ज़ुल्फ़ से पहुँचूँगा क्यूँकर मुसहफ़-ए-रुख़ परअकेला हूँ अँधेरी रात है और दूर मंज़िल है
अकबर वारसी मेरठी
ना'त-ओ-मनक़बत
हसनी हुसैनी किस का शजरा सदरुद्दीन बुख़ारी कारोज़-ए-महशर किस का जल्वा सदरुद्दीन बुख़ारी का
ज़फ़र लखनपुरी
ना'त-ओ-मनक़बत
दुख़्तर-ए-इस्लाम पाकीज़ा नसब ज़ैनब में हैइस लिए लम्हात-ए-ग़म में भी तरब ज़ैनब में है
डॉ. मंसूर फ़रिदी
ना'त-ओ-मनक़बत
क़ैद में भी शौकत-ए-नाम-ओ-नसब ज़ैनब में हैजो है अहल-ए-बैत की पहचान सब ज़ैनब में है
ताहिर ख़ान
ना'त-ओ-मनक़बत
नूर-ए-अहमद की ज़िया आली नसब ज़ैनब में हैजज़्बा-ए-शेर-ए-ख़ुदा फ़ख़्र-ए-’अरब ज़ैनब में है
महमूद अहमद रब्बानी
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ना'त-ओ-मनक़बत
क्या वक़ार-ए-’अज़मत-ओ-नाम-ओ-नसब ज़ैनब में हैसर झुका कर तन के चलने की तलब ज़ैनब में है
असलम माजिद
ग़ज़ल
शहीद-ए-इ’श्क़-ए-मौला-ए-क़तील-ए-हुब्ब-ए-रहमानेजनाब-ए-ख़्वाजः क़ुतुबुद्दीं इमाम-ए-दीन-ओ-ईमाने
वाहिद बख़्श स्याल
सूफ़ी कहावत
रू-ए ज़ेबा मरहम-ए-दिलहा-ए-ख़स्ता अस्त-ओ-कलीद-ए-दरहा-ए-बस्ता
एक ख़ूबसूरत चेहरा दुखी दिलों के लिए मरहम की तरह होता है, और बंद दरवाजों के लिए कुंजी
वाचिक परंपरा
ना'त-ओ-मनक़बत
गुल-ए-बुस्तान-ए-मा'शूक़ी मह-ए-ताबान-ए-महबूबीनिज़ामुद्दीन सुल्तान-उल-मशाइख़ जान-ए-महबूबी
हसरत अजमेरी
सूफ़ी कहानी
हज़रत-ए-उ’मर के पास सफ़ीर-ए-क़ैसर का आना - दफ़्तर-ए-अव्वल
क़ैसर का एक सफ़ीर दूर-दराज़ बयाबानों को तय कर के हज़रत-ए-उ’मर से मिलने को मदीने पहुंचा।
रूमी
ना'त-ओ-मनक़बत
सुल्तान-ए-मन अमीन-ए-मन ज़ीनत-ए-इंतिज़ार-ए-मनआप की दीद-ए-सुकून-ए-दिल दरमाँ दिल-ए-अफ़गार-ए-मन