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सलोक
अज्ञान- अणहून्दे अज्ञान, विधा जीअ वहण मे।
लघे चढिया लखते, साधूजन सुजान।सदा सावधान, सामी रहनि स्वभाव मे।।
सामी
पद
पीवो श्री भागवत सुधारस।।
पीवो श्री भागवत सुधारस।।सावधान श्रवण पुट भरि भरि श्री गोपाल बिमल जस।।
हरिदास
कवित्त
पानिप के पुंज, सुघराई के सदन, सुख
पानिप के पुंज, सुघराई के सदन, सुख-सोभा के समूह और सावधान मौज के।
मुबारक अली बिलग्रामी
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सूफ़ी कहानी
कहानी -6-राजनीति- गुलिस्तान-ए-सा’दी
'दीन-दुखियों पर सदैव दया कर और समय के कुचक्र से सावधान रह।'
सादी शीराज़ी
सूफ़ी कहावत
ग़म-ए-ज़ेर-ए-दस्तां बख़ुर ज़ीनहार, बतर्स अज़ ज़बर्दस्ती-ए-रोज़गार
देखो, उनका ध्यान रखो जो आपसे कमजोर हैं, और सावधान रहो उस अपराधी भाग्य से जो आपसे बड़ा है
वाचिक परंपरा
क़िस्सा
क़िस्सा चहार दर्वेश
कि जिसके वास्ते खींचे हैं चिल्ले।उसी ख़ुशी के आ’लम में हम दोनों उस बाग़ में साथ-साथ
अमीर ख़ुसरौ
सूफ़ी लेख
अल-ग़ज़ाली की ‘कीमिया ए सआदत’ की दूसरी क़िस्त
यह जो जीव का पिण्ड (शरीर) है, सो देखने में यद्यपि क्षुद्र-सा जान पड़ता है, तथापि
सूफ़ीनामा आर्काइव
सूफ़ी लेख
पदमावत की एक अप्राप्त लोक कथा-सपनावती- श्री अगरचन्द नाहटा
गोर भी चलते 2 धूर्तों की नगरी में पहुँचा। रास्ते में एक साहूकार मिला। वह उस
सम्मेलन पत्रिका
सूफ़ी लेख
सूर की लोकमंगल-भावना, डॉक्टर भगवती प्रसाद सिंह
लोक-जीवन की मुख्य धुरी समाज की परम्परया प्रतिष्ठित मर्यादा है। उसकी रक्षा से ही स्वस्थ सामाजिक
सूरदास : विविध संदर्भों में
सूफ़ी लेख
अल-ग़ज़ाली की ‘कीमिया ए सआदत’ की पाँचवी क़िस्त
मृत्यु का रहस्यअब तुम मृत्यु का रहस्य जानना चाहते हो तो सावधान होकर सुनो। इस मनुष्य
सूफ़ीनामा आर्काइव
सूफ़ी लेख
भ्रमर-गीतः गाँव बनाम नगर, डॉक्टर युगेश्वर
मुरली देखकर लजाते हैं। मुरली गाँव और गोचारण की उन्मुक्तता की प्रतीक है। सिंहासन बैठा राजा