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रूबाई
ऐ अज़ रुख़-ए-तू शगुफ़्त: ख़ातिर गुल-ए-सुर्ख़बातिन हम: ख़ून-ए-दिल-ओ-ज़ाहिर गुल-ए-सुर्ख़
सरमद काशानी
फ़ारसी सूफ़ी काव्य
ऐ दस्तत अज़ निगार सफेद-ओ-स्याह-ओ-सुर्ख़वे चश्मत अज़ ख़ुमार सफ़ेद-ओ-स्याह-ओ-सुर्ख़
अमीर ख़ुसरौ
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शे'र
वो चाँद सा मुँह सुर्ख़ दुपट्टा में है रख़्शाँया मेहर कहूँ जल्वा-नुमा ज़ेर-ए-शफ़क़ है
मीर मोहम्मद बेदार
सूफ़ी लेख
अमीर ख़ुसरो के अ’हद की देहली - हुस्नुद्दीन अहमद
शकर-ए-तरी 1½ जीतल फ़ी मनशकर–ए-सुर्ख़ ½ जीतल फ़ी मन
मुनादी
कलाम
मुद्दत से गुलिस्ताँ है ब-रंग-ए-रुख़-ए-मरीज़'अलताफ़' सुर्ख़-सुर्ख़ बहारों को क्या हुआ
अल्ताफ़ मशहदी
ग़ज़ल
निकले है लाला ख़ाक के नीचे से सुर्ख़ सुर्ख़रंगीं हुआ शहीदों के ख़ूँ में नहा नहा
एहसनुल्लाह ख़ाँ बयान
सूफ़ी लेख
उर्स के दौरान होने वाले तरही मुशायरे की एक झलक
सुर्ख़ रंगत क्यों ना हो उस दीदा-ए-ख़ूँबार कीख़ून हो कर बहती है हसरत तेरी दीदार की
सुमन मिश्रा
ग़ज़ल
जब सें देखी है ख़त-ए-सब्ज़ में तेरे लब-ए-सुर्ख़तब सें सब्ज़े में छुपी पान की लाली ऐ शोख़
सिराज औरंगाबादी
ग़ज़ल
सिराज औरंगाबादी
सूफ़ी लेख
चिश्तिया सिलसिला की ता’लीम और उसकी तर्वीज-ओ-इशाअ’त में हज़रत गेसू दराज़ का हिस्सा
ख़लीक़ अहमद निज़ामी
राग आधारित पद
कोई पहनो सुहागन हरी-हरी चुड़ियाँ
कोई पहनो खिलाड़न हरी हरी चुड़ियाँहरी-हरी चूड़ियाँ सुर्ख़ चुँदरिया