आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "bihar mein urdu tanz o zarafat ebooks"
अत्यधिक संबंधित परिणाम "bihar mein urdu tanz o zarafat ebooks"
सूफ़ी लेख
क़व्वाली में उर्दू हिन्दी की इब्तिदा
फ़ार्सी-दाँ हल्क़ों में क़व्वाली की मक़्बूलियत के बाद मूजिद-ए-क़व्वाली हज़रत अमीर ख़ुसरौ को एक ऐसा अहम
अकमल हैदराबादी
सूफ़ी लेख
बिहार में क़व्वालों का इतिहास
क़व्वाली शब्द अरबी भाषा के शब्द ‘क़ौल’ से लिया गया है। क़ौल पढ़ने वाले व्यक्ति को
रय्यान अबुलउलाई
अन्य परिणाम "bihar mein urdu tanz o zarafat ebooks"
सूफ़ी लेख
अमीर ख़ुसरो बुज़ुर्ग और दरवेश की हैसियत से - मौलाना अ’ब्दुल माजिद दरियाबादी
ख़ालिक़-बारी का नाम भी आज के लड़कों ने न सुना होगा। कल के बूढ़ों के दिल
फ़रोग़-ए-उर्दू
सूफ़ी लेख
हिन्दुस्तानी तहज़ीब की तश्कील में अमीर ख़ुसरो का हिस्सा - मुनाज़िर आ’शिक़ हरगानवी
जब हम हिन्दुस्तान की तहज़ीब का मुतालिआ’ करते हैं तो देखते हैं कि तरह तरह के
फ़रोग़-ए-उर्दू
क़िस्सा
क़िस्सा चहार दर्वेश
मौनी अनबोल देखे, सेवड़ा सिर छोल देखेकरत कलोल देखे, वन खन्डी बन में।
अमीर ख़ुसरौ
शे'र
पस-ए-मुर्दन इरादा दिल में था जो कू-ए-क़ातिल कालहद में ख़ुश हुआ मैं नाम सुनकर पहली मंज़िल का
ग़ाफ़िल लखनवी
ग़ज़ल
पस-ए-मुर्दन इरादा दिल में था जो कू-ए-क़ातिल कालहद में ख़ुश हुआ मैं नाम सुन कर पहली मंज़िल का
ग़ाफ़िल लखनवी
रूबाई
दे ज़ाहिर-ओ-बातिन में मुझे 'इज़्ज़-ओ-शरफ़अतराफ़ से छुट जाऊँ रहूँ तेरी तरफ़
ख़्वाजा रुक्नुद्दीन इश्क़
ग़ज़ल
हसरत-ओ-यास-ओ-आरज़ू शौक़ का इक़्तिदा करेंकुश्तः-ए-ग़म की लाश पर धूम से हो नमाज़-ए-इश्क़