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ना'त-ओ-मनक़बत
औरों से जुदा बीमार शह-ए-अबरार की हालत होती हैआराम में कुल्फ़त होती है तकलीफ़ में राहत होती है
सफ़ीउल आलम शहबाज़ी
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शे'र
मेरी ज़िंदगी पे न मुस्कुरा,मुझे ज़िंदगी का अलम नहींजिसे तेरे ग़म से हो वास्ता वो ख़िज़ाँ बहार से कम नहीं
शकील बदायूँनी
फ़ारसी कलाम
ऐ ज़े-दर्द-ए-इ'श्क़-ए-तू बीमार-ए-जाँ दारम हनूज़दाश्तम मेहर-ए-तू दर दिल हम-चुनाँ दारम हनूज़
अहमद शाहजहाँपुरी
शे'र
पढ़ पढ़ इ’ल्म हज़ार कताबाँ आ’लिम होए भारे हूहर्फ़ इक इ’श्क़ दा पढ़ न जाणन भुल्ले फिरन विचारे हू
सुल्तान बाहू
कलाम
पढ़ पढ़ इलम हज़ार कताबाँ आलिम होए भारे हूहर्फ़ इक इश्क़ दा पढ़ न जाणन भुल्ले फिरन विचारे हू
सुल्तान बाहू
ग़ज़ल
दलील-ए-सुब्ह रौशन है सियह शाम-ए-अलम साक़ीख़ुदा का बा'द हर मुश्किल के होता है करम साक़ी
वासीफ़ आलम मुआज्ज़मी
फ़ारसी कलाम
ऐ मुनव्वर-ए-हर-दो-आ'लम ज़े-आफ़ताब-ए-रू-ए-तूवय मोअ'त्तर-ए-मुल्क-ए-जाँ अज़ ज़ुल्फ़-ए-अंबर बू-ए-तू
असीरी लाहीजी
फ़ारसी कलाम
ऐ माह-ए-आ'लम सोज़-ए-मन अज़ मन चरा रंजीद:ईवै शम-ए’-शब अफ़्रोज़-ए-मन अज़ मन चरा रंजीद:ई