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ना'त-ओ-मनक़बत
ऐ शराब-ए-'इश्क़ तेरा फ़ल्सफ़ा कुछ और हैख़ुम के मिम्बर पर 'अली का मर्तबा कुछ और है
आबिद नज़र
सूफ़ी लेख
शैख़ सलीम चिश्ती
मशहूर तो यूं है कि हिन्दुस्तान में इस्लाम का ज़माना मोहम्मद ग़ौरी से शुरूअ’ होता है
ख़्वाजा हसन निज़ामी
सूफ़ी लेख
महापुरुष ख़्वाजा मुई’नुद्दीन चिश्ती अजमेरी
आल इंडिया रेडियो देहली से ख़्वाजा हसन सानी निज़ामी की हिंदी तक़रीरअगर मैं आप से पूछूँ
ख़्वाजा हसन निज़ामी
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ना'त-ओ-मनक़बत
दम-दमा-दम दम 'अली का फ़ल्सफ़ा कुछ और हैहर घड़ी विर्द-ए-ज़बाँ है ये नशा कुछ और है
मक़बूल अहमद अंसारी
शे'र
ख़ून-ए-नाहक़ की शहादत के लिए काफ़ी है येदामन-ए-क़ातिल पे जो धब्बे लहू के जम रहे
मिरर्ज़ा फ़िदा अली शाह मनन
ना'त-ओ-मनक़बत
नेको क़दम नेको निशान ख़्वाजा मु'ईनुद्दीन हसनशाह-ए-शहंशाह-ए-ज़माँ ख़्वाजा मु'ईनुद्दीन हसन
अज्ञात
ग़ज़ल
'हसन' वो हम से पूछते हैं आँसुओं का फ़ल्सफ़ाहुज़ूर मेरी चश्म-ए-तर में ऐ'न शीन क़ाफ़ है
ख़्वाजा शायान हसन
शे'र
इ'ल्म वालों को शहादत का सबक़ तू ने दियामर के भी ज़िन्दा रहे इंसाँ ये हक़ तू ने दिया
मुज़फ़्फ़र वारसी
कलाम
विलायत इम्तिहान-ए-दोस्त में साबित क़दम रहनाबलाओं से न घबराना करामत इस को कहते हैं
मौलाना हिदायत रसूल
ना'त-ओ-मनक़बत
शाह-ए-हसन सरताज तू ख़्वाजा हसन सुल्तान तूसाहिब-ए-’इल्म-ओ-बसीरत बंदा-ए-रहमान तू
अब्दुल्लाह अली ग़फ़्फ़ारी
ना'त-ओ-मनक़बत
ख़्वाजा मु'ईनुद्दीन हसन गाही नज़र बर मन फ़िगनबहर-ए-खु़दा मेरे सजन गाही नज़र बर मन फ़िगन
निज़ाम अली
ना'त-ओ-मनक़बत
हुसैन इब्न-ए-'अली ज़हरा हसन के दर का सदक़ा दोहमें भी पंजतन का दो उतारा या रसूल-अल्लाह