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कृष्ण भक्ति सूफ़ी कलाम
कधी मोहतिया मोह न आवे 'औघट' कौने काजकुबरी ऐसी प्रीत करो कि मिलें कृष्ण-महराज
औघट शाह वारसी
सोरठा
अखरावती - सतगुरु खोजो संत जीव काज जेहि होय जो
सतगुरु खोजो संत जीव काज जेहि होय जोमेटैं भव का अंत आवागवन निवारहीं
कबीर
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सूफीनामा शब्दकोश
kaaj
काजکاج
buttonhole, work, business
hole for button
काश, ईश्वर करे, भेगा, जिसे एक की दो चीज़ दिखाई पड़ती हों।
qaaz
क़ाज़قاز
a goose or duck
हंस की जाति का एक पक्षी जो दूसरे ठंडे देशों से जाड़ों में भारत आ जाता है और जाड़ों के बाद लौट जाता है।
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दोहा
पीतम पत तुम हाथ है लाज करूँ कह काज
पीतम पत तुम हाथ है लाज करूँ कह काजभिक्षा माँगूँ आप से दान दियो महाराज
अमीनुद्दीन वारसी
पद
मानो बिनंती महाराज चलो पतीतन के काज
मानो बिनंती महाराज चलो पतीतन के काजनामा कहे पंडतराज, मत बाजो इस बात सो
गोंदा महाराज
पद
मानो विनंती महाराज चलो पतीतन के काज
मानो विनंती महाराज चलो पतीतन के काजनामा कहे बम्मनराज न बाजे इत बातन सो
गोंदा महाराज
दोहा
मैं खोटी हूँ तुम खरे खरे तुम्हारे काज
मैं खोटी हूँ तुम खरे खरे तुम्हारे काजखोट खोट सब छाँट दो खरा बना दो आज
मुज़्तर ख़ैराबादी
बैत
कहूँ मैं क्यूँ कि मिरा काम काज अबतर है
कहूँ मैं क्यूँ कि मिरा काम काज अबतर है'अली के 'इश्क़ से सीना मिरा मो'अत्तर है
अम्न इक़बाल
सूफ़ी कहावत
ख़िश्त अव्वल चूँ नहद मे'मार कज। ता सुरय्या मी रवद दीवार कज
पहली ईंट जब मे'मार टेढ़ी लगा दे तो अगर दीवार-ए-सुरय्या (आसमान) तक भी चली जाए टेढ़ी ही होगी।
वाचिक परंपरा
फ़ारसी सूफ़ी काव्य
मुज़्दः-ए-वस्ल-ए-तू कू कज़ सर-ए-जाँ बरख़ेज़मताइर-ए-क़ुदसम-ओ-अज़ दाम-ए-जहाँ बरख़ेज़म
हाफ़िज़
फ़ारसी सूफ़ी काव्य
ब-ख़ुदा कज़ ग़म-ए-'इश्क़त न गुरेज़म न गुरेज़मवगर अज़ मन तलबे जान न सतेज़म न सतेज़म
रूमी
फ़ारसी कलाम
साक़ी बिया कज़ फ़ैज़-ए-मय दारम हवस-हा दर बग़लता कै निहाँ दारी ज़े-मन ईं जाम-ओ-मीना दर बग़ल