मुज़्दः-ए-वस्ल-ए-तू कू कज़ सर-ए-जाँ बरख़ेज़म
रोचक तथ्य
ترجمہ: قاضی سجاد حسین
मुज़्दः-ए-वस्ल-ए-तू कू कज़ सर-ए-जाँ बरख़ेज़म
ताइर-ए-क़ुदसम-ओ-अज़ दाम-ए-जहाँ बरख़ेज़म
तेरे वस्ल की ख़ुश-ख़बरी कहाँ है ताकि जान से हाथ धो लूँ
मैं आ’लम-ए-क़ुद्स का परिंदा हूँ और दुनिया के जाल से निकल जाऊँ
यारब अज़ अब्र-ए-हिदायत ब-रसाँ बाराने
पेशतर ज़ाँ कि चू गर्दे ज़े मियाँ बरख़ेज़म
ऐ ख़ुदा हिदायत के अब्र से बारिश बरसा दे
इस से पहले कि मैं गर्द की तरह दरमियान से उठूँ
ब-विला-ए-तु कि गर बन्द:-ए-ख़्वेशम ख़्वानी
अज़ सर-ए-ख़्वाजगी-ए-कौन-ओ-मकाँ बरख़ेज़म
तेरी मोहब्बत की क़सम अगर तू मुझे अपना ग़ुलाम कर दे
कौन-ओ-मकाँ की बादशाही से मैं दस्त-बरदार हो जाऊँ
बर सर-ए-तुर्बत-ए-मन बे-मय-ओ-मुत्रिब म-नशीं
ता ब-बूयत ज़े लहद रक़्स-कुनाँ बरख़ेज़म
मेरी क़ब्र पर शराब और मुतरिब के बग़ैर न बैठ
ताकि तेरी ख़ुशियों की वजह से लहद से रक़्स करता हुआ उठ खड़ा हूँ
गरचे पीरम तु शबे तंग दर आग़ोशम-गीर
ता सहर-गह ज़े कनार-ए-तू जवाँ बरख़ेज़म
अगरचे मैं बूढ़ा हूँ तू एक रात को मुझे ख़ूब बग़ल में दबा ले
ताकि सुब्ह को तेरी बग़ल से जवान उठूँ
तू म-पिंदार कि अज़ ख़ाक-ए-सर-ए-कू-ए-तू मन
ब-जफ़ा-ए-फ़लक-ओ-जौर-ए-ज़माँ बरख़ेज़म
तू ये न समझ कि तेरे कूचा की ख़ाक से मैं
आसमान के ज़ुल्म से और ज़माना की ज़्यादती से उठ खड़ा हूँगा
बर न-ख़ेज़म ज़े सर-ए-कू-ए-तू ता जाँ दारम
वर रसद कार ब जाँ अज़ सर-ए-जाँ बरख़ेज़म
जब तक जान है तेरे कूचा से न उठूँगा
और अगर मु’आमला जान तक पहुंच जाएगा तो जान से हाथ धो लूँगा
सर्व-ए-बाला ब-नुमा ऐ बुत-ए-शीरीं हरकात
कि चु 'हाफ़िज़' ज़े सर-ए-जान-ओ-जहां बरख़ेज़म
ऐ मीठी अदाओं वाले बुत! बुलंद, सर्व दिखा
ताकि ‘हाफ़िज़’ की तरह जान और दुनिया से हाथ धो लूँ
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