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ग़ज़ल
कोई ब-सद ग़ुरूर-ओ-नाज़ जल्वा-नुमा हुआ तो क्याचश्म-ए-मुराद-मंद को मिल गया मुद्दआ' तो किया
बह्ज़ाद लखनवी
कलाम
यार ख़ुद जल्वा-नुमा था मुझे मा'लूम न थाग़ुंचा-ओ-गुल में बसा था मुझे मा'लूम न था
शाह फ़िदा हुसैन फ़य्याज़ी
ग़ज़ल
उस का बंदा हूँ जिसे क़िब्ला-नुमा कहते हैंजिस को अल्फ़ाज़-ए-मोहब्बत में ख़ुदा कहते हैं