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ना'त-ओ-मनक़बत
नक़ाब रुख़ से ज़रा उठाना ऐ जान-ए-जानाँ कमलिया वालेवो चाँद सी सूरत दिखाना ऐ जान-ए-जानाँ कमलिया वाले
हाफ़िज़ मक़बूल शाह
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ना'त-ओ-मनक़बत
गर्दिशों को मिल नहीं सकता ग़ुबार-ए-फ़ातिमाबच्चा-बच्चा दीन का है जाँ-निसार-ए-फ़ातिमा
मक़बूल अहमद अंसारी
ग़ज़ल
रंजिशों से भर गया है दिल का ये पैमाना अबक्या क़ियामत है कि अपना हो गया बेगाना अब
मक़बूल अहमद अंसारी
ना'त-ओ-मनक़बत
दम-दमा-दम दम 'अली का फ़ल्सफ़ा कुछ और हैहर घड़ी विर्द-ए-ज़बाँ है ये नशा कुछ और है
मक़बूल अहमद अंसारी
फ़ारसी सूफ़ी काव्य
ऐ क़िब्लः-ए-ईमान-ए-मन गाहे नज़र बर मन फ़िगनऐ का'बः-ए-ईक़ान-ए-मन गाहे नज़र बर मन फ़िगन
लताफ़त वारसी
ना'त-ओ-मनक़बत
जिस रंग में ऐ यार मुझे तू नज़र आयाऐसा कोई गुल भी नहीं ख़ुश-रू नज़र आया
अब्दुल रहीम कुंज्पुरी
ग़ज़ल
मसीहा की दवाओं से न छू-मंतर से जाता हैमरज़ ये 'इश्क़ का है ज़िक्र-ए-पैग़म्बर से जाता है
मक़बूल अहमद अंसारी
कलाम
ताबिश कानपुरी
फ़ारसी कलाम
ऐ ’आरिफाँ रा पेशवा गाहे नज़र बर मन फ़िगनऐ आ'शिक़ाँ रा रहनुमा गाहे नज़र बर मन फ़िगन