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सूफ़ी उद्धरण
चाँदनी में चाँद नहीं होता और चाँद पर चाँदनी नहीं होती।
चाँदनी में चाँद नहीं होता और चाँद पर चाँदनी नहीं होती।
वासिफ़ अली वासिफ़
पद
माधव गुन मों सगुनी रमजिय अनुभव स्वायत निजहित मो
माधव गुन मों सगुनी रमजिय अनुभव स्वायत निजहित मोसब घट अंतर वास विलासी मन मोहन हरि अगम सो
अनंत महाराज
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सूफ़ी प्रतीक
माह-ए-नख़्शब
नख़्शब ईरान का एक शहर है. यहाँ एक हकीम इब्न-ए-अ’ता रहता था जिसे इब्न-ए-मुक़न्ना भी कहते
अज्ञात
राग आधारित पद
राग भैरव तिताला - नाम लेत दुख टरत मौन दिल ख़्वाजा
नाम लेत दुख टरत मौन दिल ख़्वाजासरस होत सुख परसत ही दरगाह रौशन जंबीर
तानसेन
भजन
मों को नाँव मोहम्मद प्यारा लगत है
मों को नाँव मोहम्मद प्यारा लगत हैवाही के कारन हैव किस कित है
नवाब इब्राहीम अ'ली
क़िस्सा
पेम कहानी
ऐ री सखी बाँगर मूँ मन मेरो लियो मोहमोहन है या डगर मूँ नहीं कहत रहीं तोह
दोस्त मोहम्मद अबुलउलाई
गूजरी सूफ़ी काव्य
तेरा इश्क़ मुझ कूँ है आब-ए-हयात,
मोहब्बत की शतरंज मेरे साथ खेलमुझे शह तू मूँ दे गए हैं कि मात
पीर सय्यद मोहम्मद अक़दस
दोहा
लिखें सबई लीखें नहीं मोहन प्रान सहाय
लिखें सबई लीखें नहीं मोहन प्रान सहायअलख लखै कउ लाख मूँ लिखा लखा तो काय
बरकतुल्लाह पेमी
सलोक
फ़रीदा दरद न वंञमि दारू जि लक्ख तबीब लगन्नि
फ़रीदा दरद न वंञमि दारू जि लक्ख तबीब लगन्निचंगी भली थी बहां जो मूँ पिरी मिलन्नि
बाबा फ़रीद
काफी
उल्टी गंग बहाइओ रे साधो तब हर दरसन पाए
अमृत मंडल मूँ तब ऐसी दे कि हरी हरि हो जाएउल्टी गंग बहाइओ रे साधो तब हर दरसन पाए