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ना'त-ओ-मनक़बत
ऐ बे-नियाज़-ए-मालिक मालिक है नाम तेरामुझ को है नाज़ तुझ पर मैं हूँ ग़ुलाम तेरा
शाह अकबर दानापूरी
बैत
साहिब-ए-नज़राँ 'इश्क़' मिरा नाम है मशहूर
साहिब-ए-नज़राँ 'इ'श्क़' मिरा नाम है मशहूरगो आँखों से पोशीदा हूँ पर दिल से 'अयाँ हूँ
ख़्वाजा रुक्नुद्दीन इश्क़
ना'त-ओ-मनक़बत
अफ़ज़ल है नाम बेहतर हज़रत उवैस क़र्नीविर्द-ए-ज़बाँ है अक्सर हज़रत उवैस क़र्नी
शैख़ मुख़तार अहमद
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विषय
आ’शिक़
आशिक़
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सूफ़ी लेख
क़व्वाली एक ताल का नाम भी
समा’अ में अगर नग़्मा की बा-ज़ाबतगी हो तो वो समा’अ से ख़ारिज हो जाता है। नग़्मा
अकमल हैदराबादी
ग़ज़ल
ब-रंग-ए-माह-ओ-ख़ोर दिन-रात घर-घर आते जाते हैंजहाँ सुनते हैं नाम-ए-'इश्क़ वाँ ख़ूबाँ ठिटकते हैं
ख़्वाजा रुक्नुद्दीन इश्क़
ना'त-ओ-मनक़बत
रहेगा हश्र तक क़ाएम जहाँ में नाम वारिस काहर इक मोमिन को पहुँचेगा सदा पैग़ाम वारिस का
शारिक़ रब्बानी
ना'त-ओ-मनक़बत
तुम्हारे नाम पे सब कुछ मिला ग़रीब-नवाज़तुम्हारे नाम पे सब कुछ फ़िदा ग़रीब-नवाज़
अ'ब्दुल सत्तार नियाज़ी
ना'त-ओ-मनक़बत
'अली के नाम की 'अज़्मत सिफ़ात-ए-इस्म-ए-आ’ज़म है'अली ही 'इल्म की तौक़ीर का हुस्न-ए-मुजस्सम है
ख़्वाजा शायान हसन
ना'त-ओ-मनक़बत
सब नाम हैं गुम जिस में वो है नाम ख़ुदा काये काम है वो काम है हर काम ख़ुदा का
ज़हीन शाह ताजी
ना'त-ओ-मनक़बत
ख़्वाजा शायान हसन
ना'त-ओ-मनक़बत
ख़ुदा के नाम से रौशन है नाम-ए-’अब्दुल्लाहकलाम-ए-मुस्तफ़वी है कलाम-ए-’अब्दुल्लाह
मयकश अकबराबादी
ना'त-ओ-मनक़बत
मुझ को तो अपनी जाँ से भी प्यारा है उन का नामशब है अगर हयात सितारा है उन का नाम