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सूफ़ी कहावत
ज़माना बा तू नासाज़द, तू बा ज़माना साज़।
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वाचिक परंपरा
सूफ़ी लेख
क़व्वाली के इब्तिदाई साज़, राग ताल और ठेके
क़व्वाली के इब्तिदाई साज़ों की तफ़्सील किसी एक मज़मून या किताब से दस्तयाब नहीं होती, अलबत्ता
अकमल हैदराबादी
ग़ज़ल
बेदम शाह वारसी
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विषय
दिल
दिल
समस्त
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कलाम
सूफ़ी तबस्सुम
ग़ज़ल
दिल तो मिरा असीर है छेड़ेगा कौन साज़-ए-’इश्क़जितना छुपेगा राज़-ए-हुस्न उतना खुलेगा राज़-ए-’इश्क़
फ़ज़्ल नक़वी
फ़ारसी सूफ़ी काव्य
ऐ दिल म-बाश ख़ाली यक-दम ज़े-इश्क़-ओ-मस्तीवाँगह ब-रौ कि रस्ती अज़ नेस्ती-ओ-हस्ती