मुज़्दः ऐ दिल कि मसीहा-नफ़से मी-आयद
रोचक तथ्य
अनुवाद: शंकर महेशवरी
मुज़्दः ऐ दिल कि मसीहा-नफ़से मी-आयद
कि ज़े अन्फ़ास-ए-ख़ुशश बू-ए-कसे मी-आयद
ख़ुशख़बरी है मन, कि आ रहा ई’सा सी साँसों वाला
उसकी मधुमय निश्वासों से गंध किसी की आती है
अज़ ग़म-ओ-दर्द म-कुन नालः-ओ-फ़रियाद कि दोश
ज़द:अम फ़ाले-ओ-फ़र्याद-रसे मी-आयद
रुदन और फ़रियाद न कर तू व्यथा-वेदना के कारण
फलादोश देखा यूँ कल, दुख-हर्ता आने वाला है
ज़े आतिश-ए-वादी-ए-ऐमन न-मनम ख़ुर्रम-ओ-बस
मूसा ईं जा ब-उम्मीद-ए-क़बसे मी-आयद
ऐमन घाटी के प्रकाश से मैं ही केवल मुदित नहीं
यहाँ अग्निकण की आशा में मूसा भी आया करते
हेच-कस नीस्त कि दर कू-ए-तू-अश कारे नीस्त
हर-कस ईंं-जा ब-उम्मीद-ए-हवसे मी-आयद
ऐसा कोई नहीं जिसे तेरे पथ से हो नहीं लगाव
किसी कामना की आशा में अअता है हर व्यक्ति यहाँ
कस न-दानीस्त कि मंज़िल-गह-ए-मा'शूक़ कुजास्त
ईं क़दर हस्त कि बाँग-ए-जरसे मी-आयद
कुछ भी ज्ञात नहीं है मुझको अभिलाषा का कहाँ पड़ाव
ऐसी है कुछ बात कि आती रहती घंटे की आवाज़
जुरअ':ए देह कि ब-मय-ख़ानः-ए-अर्बाब-ए-करम
हर हरीफ़े ज़े पय-ए-मुल्तमिसे मी-आयद
एक घूँट दे क्यूँ कि यहाँ इस दाता की मधुशाला में
आता है हर एक बंधु अपने मन में लेकर आशा
ख़बर-ए-बुलबुल-ए-ईं-बाग़ म-पुर्सेद कि मन
नालःए मी-शनवम कज़ क़फ़से मी-आयद
इस बगिया की बुलबुल की कैसी है हालत, मत पूछो
क्यूँ कि सुन रहा हूँ मैं रोदन जो कि पिंजड़े से आता
दोस्त रा गर सर-ए-पुर्सीदन-ए-बीमार-ए-ग़मस्त
गो बिया ख़ुश कि हुनूज़श नफ़से मी-आयद
अगर दोस्त की मंशा, दुख-पीड़ित का हाल पूछने की
तो कह दो कि ख़ुशी से आए, साँस अभी तक चलती है
यार दारद सर-ए-सैद-ए-दिल-ए-'हाफ़िज़' याराँ
शाहबाज़े ब-शिकार-ए-मगसे मी-आयद
‘हाफ़िज़’ के दिल के शिकार का अभिप्राय है प्रियतम का
मक्खी के शिकार को मित्रो, शाही बाज़ आ रहा है
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