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गूजरी सूफ़ी काव्य
सुनियो सखी मेरा बचन हरेक मनें पिउ का राज़ है
सुनियो सखी मेरा बचन हरेक मनें पिउ का राज़ हैदिल से तुमें मानो यक़ीं हर ज़र्रा जियूँ 'हल्लाज' है
पीर सय्यद मोहम्मद अक़दस
ग़ज़ल
शौक़-ए-दिल उन को सुनाया जब तो झुँझला कर कहाहम कहे देते हैं ऐसी दिल-लगी अच्छी नहीं
गोवर्धन प्रशाद अमीर
पद
अपनी विरह-कथा - सावन मास मेघ घिर आये गरज-गरज धुन शब्द सुनाये
सावन मास मेघ घिर आये गरज-गरज धुन शब्द सुनायेरिम-झिम बरपा होवत भारी हिय बिच लागी बिरह कटारी
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ना'त-ओ-मनक़बत
तज़्किरा सुनिए अब उन का दिल-ए-बेदार के साथजिन का ज़िक्र आता है अक्सर शह-ए-अबरार के साथ
पीर नसीरुद्दीन नसीर
ना'त-ओ-मनक़बत
दुख रज रज दाता नूँ सुनाइए मेले ने विछड़ जानाजीवें मंदा ऐ दाता नूँ मनाइए मेले ने विछड़ जाना
बरी निज़ामी
पद
कठिन पंथ संतों का मारग सतगुरु शब्द सुनाया तारग
कठिन पंथ संतों का मारग सतगुरु शब्द सुनाया तारगपाँवर जीव कील में केता सतगुरु शरणै आया जेता
भाऊदास जी
दोहा
जाति जाति ते गुन अधिक सुन्यो न कबहूँ कान
जाति जाति ते गुन अधिक सुन्यो न कबहूँ कानसेतु बांधि रघुबर तरे हेला दे नृप मान
हरिनाथ
पद
किस को कहिये किस की सुनिए किस का यहाँ ठिकाना है
किस को कहिये किस की सुनिए किस का यहाँ ठिकाना हैये तो संग-सराय बना है होत प्राती जाना है
कवि दिलदार
पद
पढ़ीऐ गुनीऐ नामु सभु सुनीऐ अनभउ भाउ न दरसै
पढ़ीऐ गुनीऐ नामु सभु सुनीऐ अनभउ भाउ न दरसैलोहा कंचनु हिरन होइ कैसे जउ पारसहि न परसै
रैदास
दोहा
पेम कहानी कहत हूँ सुनो सखी तुम आए
पेम कहानी बिस भरी मत सुनियो कोऊ आएबातन-बातन बिस झरे देखत ही घर जाए
दोस्त मोहम्मद अबुलउलाई
ग़ज़ल
कहता है 'नियाज़' और ग़ज़ल ऐसी ही सुनियोकानों को इधर रख के ज़रा हुस्न-शि'आरो
शाह नियाज़ अहमद बरेलवी
पद
सद्गुरू-महिमा के पद - गुंथ लावो ऐ सुरता सेवरो म्हारा साधो राँ जोग
गुंथ लावो ऐ सुरता सेवरो म्हारा साधो राँ जोगएक अचरज म्हाँ सुनियो इन सरवरिया री पाल
मीराबाई
कलाम
बूँदें सब ओस दरिया की मौज से आ मिल जावेंगीसुनियो रे बीर कहारो बैग मेरी डलिया सँवारो