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फ़ारसी सूफ़ी काव्य
ऐ क़िब्लः-ए-ईमान-ए-मन गाहे नज़र बर मन फ़िगनऐ का'बः-ए-ईक़ान-ए-मन गाहे नज़र बर मन फ़िगन
लताफ़त वारसी
ग़ज़ल
न रोता ज़ार ज़ार इतना न करता शोर-ओ-शर इतनाइलाही क्या करूँ दर्द-ए-जिगर इतना जिगर इतना
सफ़ी औरंगाबादी
ना'त-ओ-मनक़बत
जिस रंग में ऐ यार मुझे तू नज़र आयाऐसा कोई गुल भी नहीं ख़ुश-रू नज़र आया
अब्दुल रहीम कुंज्पुरी
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कलाम
ताबिश कानपुरी
ग़ज़ल
ज़ोर दिखलाता है क्या-क्या ज़ो'फ़ जिस्म-ए-ज़ार कारंग उड़ने को तरसता है मिरी रुख़्सार का
मुंशी अमीरुल्लाह तस्लीम
ग़ज़ल
रो रो के ज़ार-ज़ार ये कहता है जान-ए-अब्रहो चश्म-ए-अश्क-बार पे ये साएबान-ए-अब्र
ख़्वाजा रुक्नुद्दीन इश्क़
फ़ारसी कलाम
ऐ ’आरिफाँ रा पेशवा गाहे नज़र बर मन फ़िगनऐ आ'शिक़ाँ रा रहनुमा गाहे नज़र बर मन फ़िगन