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सूफ़ी लेख
शम्स तबरेज़ी - ज़ियाउद्दीन अहमद ख़ां बर्नी
गश्त गंज-ए-अ’जाइबश मक्तूमकि अज़ाँ दम कि तू सफ़र कर्दी
ख़्वाजा हसन निज़ामी
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शैख़ फ़रीदुद्दीन अत्तार और शैख़ सनआँ की कहानी
शैख़ रा बुर्दंद सू-ए-दैर मस्त ।बाद अज़ाँ गुफ़्तंद ता ज़ुन्नार बस्त ।।
सुमन मिश्रा
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अमीर ख़ुसरो - तहज़ीबी हम-आहंगी की अ’लामत - डॉक्टर अनवारुल हसन
लेक न हिंद अस्त अज़ाँ माय: तही।हस्त दरू यक यक ज़े अंदेशःतही।।
सूफ़ीनामा आर्काइव
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हिन्दुस्तानी तहज़ीब की तश्कील में अमीर ख़ुसरो का हिस्सा - मुनाज़िर आ’शिक़ हरगानवी
फ़ल्सफ़ः ज़े-आँ जा हमः मा’लूम शुदः।।लेक न हिंदस्त अज़ाँ माया-ए-हस्ती।
फ़रोग़-ए-उर्दू
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हज़रत मख़दूम अशरफ़ जहाँगीर सिमनानी के जलीलुल-क़द्र ख़ुलफ़ा - सय्यद मौसूफ़ अशरफ़ अशरफ़ी
सूफ़ीनामा आर्काइव
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ख़्वाजा-ए-ख़्वाजगान हज़रत ख़्वाजा मुई’नुद्दीन चिश्ती अजमेरी - आ’बिद हुसैन निज़ामी
बा’द अज़ाँ क़ैंची लेकर दुआ’-गो के सर पर चलाई और गलीम-ए-ख़ास अ’ता फ़रमाई। फिर इर्शाद हुआ।