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सूफ़ी लेख
Jamaali – The second Khusrau of Delhi (जमाली – दिल्ली का दूसरा ख़ुसरो)
गहे दर रूम ओ गाहे जानिब-ए-शामन-दादः ख़्वेश रा यक-लहजा आराम
सुमन मिश्रा
सूफ़ी लेख
शाह नियाज़ बरैलवी ब-हैसिय्यत-ए-एक शाइ’र - मैकश अकबराबादी
जा इ’श्क़ मिरा सुब्हा-ओ-ज़ुन्नार से कह दोछोड़ो मुझे बे-ख़ुद मिरा आराम यही है
मयकश अकबराबादी
सूफ़ी लेख
सूफ़ी क़व्वाली में महिलाओं का योगदान
बलाओं से न हो मुठभेड़ सारी मुश्किलें हल होंन भूले नाम-ए-हक़ इन्साँ अगर आराम पाने पर
सुमन मिश्रा
सूफ़ी लेख
बिहार में क़व्वालों का इतिहास
बद्र-उल-हसन एमादी लिखते हैं कि-‘‘उनके सम्मान में फ़र्क़ आ गया, बुढ़ापा बुरी बला है, आफ़ियत की
रय्यान अबुलउलाई
सूफ़ी लेख
बक़ा-ए-इन्सानियत में सूफ़ियों का हिस्सा (हज़रत शाह तुराब अ’ली क़लंदर काकोरवी के हवाला से) - डॉक्टर मसऊ’द अनवर अ’लवी
मुनादी
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Sheikh Naseeruddin Chiragh-e-Dehli
उसके बाद शेख़ ने एक आह भरी ! मैं और तुम ! हम ऐसे भूखे दरवेश
सुमन मिश्रा
सूफ़ी लेख
हज़रत ख़्वाजा गेसू दराज़ चिश्ती अक़दार-ए-हयात के तर्जुमान-डॉक्टर सय्यद नक़ी हुसैन जा’फ़री
मा’मूलात-ए-शबः फ़रमाते हैं- “सालिकों की नींद भी एक ख़ास क़िस्म की होती है।वो सोएँ तो अपने