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सूफ़ी लेख
ज़िक्र-ए-ख़ैर : हज़रत सय्यदना अमीर अबुल उला
इंसान तख़ल्लुसम शुद नामम अबुल-उला(सफ़हा-14)
रय्यान अबुलउलाई
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संत कबीर की सगुण भक्ति का स्वरूप- गोवर्धननाथ शुक्ल
राम के नाम इंसान बागा, ताका मरम न जाने कोई।भूख त्रिखा गुण वाकै नाहीं, घट घट अंतरि सोई।।
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
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हिन्दुस्तानी मौसीक़ी और अमीर ख़ुसरौ
इंसानी जज़्बात के इज़हार के लिए इंसान ने जिन फ़ुनून को वज़ा’ किया है उनमें से
उमैर हुसामी
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वेदान्त - मैकश अकबराबादी
किसी क़ौम का रूहानी सफ़र,उसका मक़्सद और बुनियाद उन रिवायात के सहारे ही मुतअ’य्यन किया जता
मयकश अकबराबादी
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शाह तुराब अली क़लंदर और उनका काव्य
हज़रत शाह तुराब अली क़लन्दर अपनी ठुमरियों के लिए विशेष तौर पर याद किए जाते हैं।
सुमन मिश्रा
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आज रंग है !
यार ही हलाल हो!रंगों का कोई मज़हब नहीं होता, न ही रंगों की कोई ज़ात होती
सुमन मिश्रा
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हज़रत शरफ़ुद्दीन अहमद मनेरी रहमतुल्लाह अ’लैह
उमरा में क़ाज़ी शम्सुद्दीन हाकिम चौ सा ने हज़रत मख़दूमुल-मुल्क से सब से ज़्यादा इस्तिफ़ादा किया।
सूफ़ीनामा आर्काइव
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चिश्तिया सिलसिला की ता’लीम और उसकी तर्वीज-ओ-इशाअ’त में हज़रत गेसू दराज़ का हिस्सा
“दरख़्त ख़ुद तो धूप में खड़ा रहता है लेकिन दूसरों को साया देता है।लकड़ी ख़ुद तो