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सूफ़ी लेख
हज़रत गेसू दराज़ हयात और ता’लीमात
इसी तरह आप फ़रमाते थे कि पीरों की औलाद का इकराम करने से बहुत फ़ैज़ होता
निसार अहमद फ़ारूक़ी
सूफ़ी लेख
अमीर ख़ुसरो और इन्सान-दोस्ती - डॉक्टर ज़हीर अहमद सिद्दीक़ी
ने पय-ए-बाज़ीचः ब-दीद आमदीख़ुसरो ने जिसको अपनी ज़िंदगी और शाइ’री का मस्लक क़रार दिया वो उनका
फ़रोग़-ए-उर्दू
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हज़रत निज़ामुद्दीन औलिया-अपने पीर-ओ-मुर्शिद की बारगाह में
जब अजोधन के उस पहले सफ़र से वापसी का वक़्त आया तो हज़रत निज़ामुद्दीन हज़रत शैख़
निसार अहमद फ़ारूक़ी
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हज़रत शैख़ बू-अ’ली शाह क़लंदर
हज़रत अमीर ख़ुसरो हज़रत बू-अ’ली की ज़बानी इस ग़ज़ल को सुन कर बहुत रोए।हज़रत बू-अ’ली ने
सूफ़ीनामा आर्काइव
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हज़रत शरफ़ुद्दीन अहमद मनेरी रहमतुल्लाह अ’लैह
और बै’अत नहीं ली, बल्कि ए’ज़ाज़ और इकराम से रुख़्सत कर दिया।जब सुल्तानुल-मशाइख़ की हिदायत के
सूफ़ीनामा आर्काइव
सूफ़ी लेख
हज़रत शैख़ अबुल हसन अ’ली हुज्वेरी रहमतुल्लाह अ’लैहि
जब वली अपनी विलायत में सादिक़ होता है तो उस से करामत ज़ाहिर होती है। करामत
सूफ़ीनामा आर्काइव
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हिन्दुस्तान में क़ौमी यक-जेहती की रिवायात-आ’ली- बिशम्भर नाथ पाण्डेय
बंगाल के ख़ुद-मुख़्तार पठान सुल्तान बंगला ज़बान के बहुत बड़े हिमायती थे।सुलतान हुसैन शाह ने सरकारी
मुनादी
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याद रखना फ़साना हैं ये लोग - डॉक्टर ज़ाकिर हुसैन ख़ाँ
बहादुर शाह के ज़िक्र में राशिदुल-ख़ैरी ने उस तक़रीब का समाँ इन अल्फ़ाज़ में बाँधा है।“उधर
मुनादी
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बीसवीं सदी के चंद मशहूर क़व्वाल
हैदराबाद के चंद क़व्वाल : इकराम-उद्दीन, ए’जाज़ क़व्वाल, इक़बाल हुसैन, उ’मर बाबू झनकार, भूरे ख़ान, बच्चा
अकमल हैदराबादी
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बहादुर शाह और फूल वालों की सैर
शाह ’आलम-गीर सानी के क़त्ल के वाक़ि’आ ही पर नज़र डालो। देखो कि हिंदू मर्द तो