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उदासी संत रैदास जी- श्रीयुत परशुराम चतुर्वेदी, एम. ए., एल-एल. बी.
और, छुटै तबहि जब मिलै एक ही, भन रैदास उदासी।। -पद, 11
हिंदुस्तानी पत्रिका
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जायसी और प्रेमतत्व पंडित परशुराम चतुर्वेदी, एम. ए., एल्.-एल्. बी.
अथवा, ओहि पथ जाइ जो होइ उदासी।
हिंदुस्तानी पत्रिका
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संत साहित्य - श्री परशुराम चतुर्वेदी
दाया करे धरम मन राखैघर में रहे उदासी।
हिंदुस्तानी पत्रिका
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सन्तरण कृत गुरु नानक विजय - जयभगवान गोयल
गुरु नानक विजय 24382 छंदों का एक धर्मप्रधान वृहदाकर प्रबन्ध काव्य है। जिसका प्रणयन उदासी सम्प्रदाय
हिंदुस्तानी पत्रिका
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कबीर साहब और विभिन्न धार्मिक मत- श्री परशुराम चतुर्वेदी
सब मद माते कोऊ न जाग, संग ही चोरे घर मुसन लाग।।सारांश यह कि कबीर साहब