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शाह नियाज़ बरैलवी ब-हैसिय्यत-ए-एक शाइ’र - मैकश अकबराबादी
असर-ए-इ’श्क़ है ये गर्दिश-ए-अय्याम नहींआ’लम-ए-इ’श्क़ की दुनिया ही निराली देखी
मयकश अकबराबादी
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सूफ़ी क़व्वाली में महिलाओं का योगदान
मेरी तक़्दीर की गर्दिश को न पहुँचा अरमाँलाख सर पर फ़लक-ए-पीर ने चक्कर काटे
सुमन मिश्र
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ज़िक्र-ए-खैर : हज़रत शाह अय्यूब अब्दाली
गरदाँ फ़लक ब-गर्दिश ए जाम ए अबुल उलामुतरिब नवाज़ नग़्म ए जश्न ए जलूस ए शाह
रय्यान अबुलउलाई
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हज़रत शाह नियाज़ बरेलवी की शाइरी में इरफान-ए-हक़
ता-हम ब-गर्दिश अज़ पय-ए-मह्र-ओ-हवा-ऊस्तमन-लम यसअहू वुस्अतन अर्ज़िन व ला समा
अहमद फ़ाख़िर
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दारा शिकोह और बाबा लाल बैरागी की वार्ता
रोज़ ए अजल से इस जहान ए फ़ानी के अर्श पर गर्दिश करती आत्मा की यह
सुमन मिश्र
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हज़रत गेसू दराज़ का मस्लक-ए-इ’श्क़-ओ-मोहब्बत - तय्यब अंसारी
ये इ’श्क़ का अदना करिश्मा है कि ख़ुदा ख़ुद अपने बंदा की मोहब्बत में गिरफ़्तार है।
मुनादी
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बिहार में क़व्वालों का इतिहास
क़व्वाली क्या है? दिल को पिघला देने का फ़न और ख़ुदा के इश्क़ से दिलों को
रय्यान अबुलउलाई
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हज़रत ग़ौस ग्वालियरी और योग पर उनकी किताब "बह्र-उल-हयात"
जब कोई शख़्स पूरी दुनिया को एक नुक़्ता की शक्ल में देखने और तमाम आ’लम को