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सूफ़ी लेख
हज़रत सूफ़ी मनेरी की तारीख़-गोई का एक शाहकार – रख़्शाँ अब्दाली, इस्लामपुरी
हज़रत सूफ़ी मनेरी (सन 1253 हिज्री ता सन 1318 हिज्री )अपने वक़्त के एक बा-कमाल शाइ’र
सूफ़ीनामा आर्काइव
सूफ़ी लेख
हज़रत शैख़ बू-अ’ली शाह क़लंदर
ईं ख़ुशामद-गोई चंदीं अब्लहाँरहज़नानंद रहज़नानंद रहज़नाँ
सूफ़ीनामा आर्काइव
सूफ़ी लेख
रैदास और सहजोबाई की बानी में उपलब्ध रूढ़ियाँ- श्री रमेश चन्द्र दुबे- Ank-2, 1956
सत संगति महिमा नहिं गोई। तदपि कह बिनु रहा न कोई।।
भारतीय साहित्य पत्रिका
सूफ़ी लेख
हिन्दुस्तानी तहज़ीब की तश्कील में अमीर ख़ुसरो का हिस्सा - मुनाज़िर आ’शिक़ हरगानवी
कि लुत्फ़-ए-देवगेरी अज़ कताँ बेश।।ज़े-लुत्फ़ आँ जाम: गोई आफ़ताबेस्त।
फ़रोग़-ए-उर्दू
सूफ़ी लेख
अमीर ख़ुसरो - तहज़ीबी हम-आहंगी की अ’लामत - डॉक्टर अनवारुल हसन
कि लुत्फ़-ए-“देव गीरी” अज़ कताँ बेश।।ज़े-लुत्फ़ आँ जामः गोई आफ़्ताबेस्त।
सूफ़ीनामा आर्काइव
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सुल्तानुल-मशाइख़ और उनकी ता’लीमात - आयतुल्लाह जा’फ़री फुलवारवी
आईन-ए-जवाँ मर्दां हक़-गोई-ओ-बे-बाकी।अल्लाह के शेरों को आती नहीं रूबाही।।
मुनादी
सूफ़ी लेख
उ’र्फ़ी हिन्दी ज़बान में - मक़्बूल हुसैन अहमदपुरी
14۔ हम-रह-ए-ग़ैरे-ओ-मी-गोई कि उ’र्फ़ी हम बियालुत्फ़ फ़रमूदी बरो कीं पाए रा रफ़्तार नीस्त
ज़माना
सूफ़ी लेख
सूफ़ी क़व्वाली में महिलाओं का योगदान
सुख़न-फ़ह्मी सुख़न-गोई से भी मुश्किल है ऐ सालिकमिले क्या दाद ना-फ़ह्मों से शे’र अपने सुनाने पर
सुमन मिश्र
सूफ़ी लेख
बक़ा-ए-इन्सानियत में सूफ़ियों का हिस्सा (हज़रत शाह तुराब अ’ली क़लंदर काकोरवी के हवाला से) - डॉक्टर मसऊ’द अनवर अ’लवी
मुनादी
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अमीर खुसरो- पद्मसिंह शर्मा
खु़सरो की कविता के कुछ नमूनेप्रेम-पंथ के पचड़ों के चमत्कृत वर्णन को फ़ारसी में ‘वाक़िआ गोई’
माधुरी पत्रिका
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हज़रत शाह नियाज़ बरेलवी की शाइरी में इरफान-ए-हक़
उर्दू ज़बान से क़ब्ल दिल्ली में फ़ारसी शाइरी का ग़ुलग़ुला था, इस अहद में ख़ुसरौ, उर्फ़ी,