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सूफ़ी लेख
शाह नियाज़ बरैलवी ब-हैसिय्यत-ए-एक शाइ’र - मैकश अकबराबादी
इलाही चश्म है या चश्मा-ए-ख़ूँबे-सर-ओ-पाई से उ’श्शाक़ को ख़तरा क्या है
मयकश अकबराबादी
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हिन्दुस्तानी क़व्वाली के विभिन्न प्रकार
चाहिए चश्मा-ए-जन्नत को अछूता पानीउनकी तक़दीर-ए-रसा पर है फ़रिश्तों को भी रश्क
सुमन मिश्रा
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सुल्तान सख़ी सरवर लखदाता-मोहम्मदुद्दीन फ़ौक़
धोंकल में आपकी यादगार और मेलाधोंकल में हर साल ब-माह-ए-जून (माह-ए-हाड़) सख़ी सरवर के नाम से
सूफ़ी
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अमीर ख़ुसरो की सूफ़ियाना शाइ’री - डॉक्टर सफ़्दर अ’ली बेग
हुस्न मोहब्बत का जन्म-दाता और मोहब्बत, ज़िंदगी का हुस्न है चाहे वो हसीन ख़यालात हों या
फ़रोग़-ए-उर्दू
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हज़रत बंदा नवाज़ गेसू दराज़ - सय्यिद हाशिम अ’ली अख़तर
विसालगुल्बर्गा शरीफ़ में 22 साल तक रुश्द-ओ-हिदायत का सिलसिला जारी रखा।जब उ’म्र शरीफ़ 104 साल की
मुनादी
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ज़िक्र-ए-ख़ैर : ख़्वाजा रुक्नुद्दीन इश्क़
इस बर्र-ए-सग़ीर में सिलसिला-ए-अबुल-उ’लाइया का फ़ैज़ान और इस की मक़बूलियत इस तरह हुई कि हर ख़ानक़ाह
रय्यान अबुलउलाई
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क़ुतुबल अक़ताब दीवान मुहम्मद रशीद उ’स्मानी जौनपूरी
दीवान साहिब की इस तहरीर से साहिब-ए-समातुल-अख़यार के इस क़ौल की पूरी तरदीद हो जाती है
हबीबुर्रहमान आज़मी
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तसव़्वुफ-ए-इस्लाम - मैकश अकबराबादी
ये भी अहादीस से साबित है कि सहाबा में से बा’ज़ हज़रात साहिबान-ए-कश्फ़-ओ-शुहूद थे और इ’ल्म-ओ-अ’मल
मयकश अकबराबादी
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याद रखना फ़साना हैं ये लोग - डॉक्टर ज़ाकिर हुसैन ख़ाँ
हम आवाज़-ए-जरस की तर्ह से तन्हा भटकते हैं।।एक और चीज़ जिसने ज़फ़र को मक़्बूल-ओ-महबूब बनाया वो
मुनादी
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वेदान्त - मैकश अकबराबादी
हम कौन हैं,काएनात क्या है,तख़्लीक़ का मक़्सद क्या है,इस ज़िंदगी के सफ़र की इंतिहा क्या है,नजात
मयकश अकबराबादी
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अज़ीज़ सफ़ीपुरी और उनकी उर्दू शा’इरी
अज़ीज़ सफ़ीपुरी की ग़ज़लों के मुतालि’ए से ये बात अज़ ख़ुद ज़ेहन पर मुनकशिफ़ होती है
ज़फ़र अंसारी ज़फ़र
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When Acharya Ramchandra Shukla met Surdas ji (भक्त सूरदास जी से आचार्य शुक्ल की भेंट) - डॉ. विश्वनाथ मिश्र
सूरदास जी के उस स्वर्गीय संगीत का आनंद लेने के लिए मेरे बाद और भी कई