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सूफ़ी लेख
बहादुर शाह और फूल वालों की सैर
जिसने पहले ज़माना का झरना नहीं देखा उसने दिल्ली में कुछ ख़ाक नहीं देखा। मा’लूम होता
मिर्ज़ा फ़रहतुल्लाह बेग
सूफ़ी लेख
हज़रत बख़्तियार काकी रहमतुल्लाहि अ’लैह - मोहम्मद अल-वाहिदी
ये अम्र अच्छी तरह तहक़ीक़ ना हो सका कि आपकी औलाद का नस्बी सिल्सिला चला या
निज़ाम उल मशायख़
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अमीर ख़ुसरो - तहज़ीबी हम-आहंगी की अ’लामत - डॉक्टर अनवारुल हसन
सूफ़िया-ए-किराम ने आ’म तौर पर और चिश्ती मशाइख़ ने ख़ुसूसिय्यत के साथ हिंदू मज़हब के बारे
सूफ़ीनामा आर्काइव
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ज़िक्र-ए-ख़ैर : हज़रत मख़दूम हुसैन ढकरपोश
आपकी दरगाह के तअ’ल्लुक़ से मूनिसुल-क़ुलूब के जामे’ क़ाज़ी शह बिन ख़त्ताब बिहारी की राय मुलाहज़ा
रय्यान अबुलउलाई
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सुल्तान सख़ी सरवर लखदाता-मोहम्मदुद्दीन फ़ौक़
अ’जीब अ’जीब नज़राने और चढ़ावेजिस कमरे में दिन को चराग़ जलते हैं उसकी छत और दीवारों
सूफ़ी
सूफ़ी लेख
ख़्वाजा मुई’नुद्दीन चिश्ती की दरगाह
अंदरूनी दीवारों पर सुनहरा काम नवाब मुश्ताक़ अ’ली ख़ान आफ़ रामपूर ने कराया था। मज़ार की
निसार अहमद फ़ारूक़ी
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जायसी का जीवन-वृत्त- श्री चंद्रबली पांडेय एम. ए., काशी
बाल-बच्चे तथा आपजायसी केवल विवाहित ही नहीं थे, उनके बाल-बच्चे भी थे। कहा जाता है कि
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
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पदमावत के कुछ विशेष स्थल- श्री वासुदेवशरण
मलिक मुहम्मद जायसी कृत पदमावत की भाषा ऊपर से देखने पर बोलचाल की देहाती अवधी कही